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अनेकान्त-दर्शन इस दुनियामें फाड़नेवालोंकी कमी नहीं है परन्तु तुम मत सोचो कि फाड़नेवाला बुरा ही होता है। छाछने दूधको फाड़ा, इसमें बुराई कौन-सी है ? दूध दही बन गया। इस दुनियामें आघात करनेवालोंकी कमी नहीं है पर तुम मत सोचो कि आघात करनेवाला बुरा ही होता है । मथानीने दहीपर आघात किये, इसमें बुराई कौन-सी है ? नवनीत निकल आया, स्नेह साकार हो उठा।
भाव और अनुभाव
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