Book Title: Bhav aur Anubhav
Author(s): Nathmalmuni
Publisher: Bharatiya Gyanpith

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Page 118
________________ गति कैसे ? उत्तर में देख : वे चिकनी चट्टानें खड़ी हैं। फिसल न जाना। फिसलनेवाला विजेताके पद-चिह्नोंपर नहीं चल सकता। दक्षिणमें देख : वह निर्झरका कलरव हो रहा है। बह न जाना। प्रवाहमें बहनेवाला विजेताके पद-चिह्नोंपर नहीं चल सकता। पर्वमें देख : वह वनस्थलीका झुरमुट। फैस न जाना। फंसनेवाला विजेताके पद-चिह्नोंपर नहीं चल सकता। पश्चिममें देख : ये मालतीके फूल बिछे हैं । मीठी परिमलको पा छितर न जाना। छितरनेवाला विजेताके पद-चिह्नोंपर नहीं चल सकता। भाव और अनुभाव Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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