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सत्यम् शिवम् सुन्दरम् जो रमणीय होता है वह शिव भी होता है। जो शिव न हो, कल्याणकारी न हो, वह पल-भर रमणीय भले लगे पर वास्तवमें रमणीय नहीं होता।
जहाँ सत्य भी हो, कल्याण भी हो और रमणीयता भी हो, वहाँ आनन्द होगा ही, भले फिर कष्ट हो या आराम ।
भाव और अनुभाव
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