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चमक
जहाँ सिद्धान्तकी गुरुता कार्यकी गहराई में लीन हो जाती है वहाँ कार्य और सिद्धान्त एक दूसरे में चमक ला देते हैं ।
सामग्री चौंधिया देती है पर प्रथम दर्शन में आदिसे अन्त तक व्यक्तिका तेज ही चमकता है। उपकरण किसीके अन्तो नहीं छू सकता।
भाव और अनुभाव
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