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आलोचना और प्रशंसा
आलोचना दोषकी होनी चाहिए और प्रशंसा गुणकी। किसी व्यक्तिकी आलोचना करनेवाला अपने लिए खतरा उत्पन्न करता है, आलोच्य के लिए वह न भी हो । प्रशंसा करनेवाला प्रशस्य व्यक्ति के लिए खतरा उत्पन्न करता है, अपने लिए वह न भी हो ।
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भाव और अनुभाव
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