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भूख और भोग भूख न आत्माको लगती है और न शरीरको। भोगकी इच्छा न आत्मामें होती है और न शरीरमें । आत्मा और शरीरका योग ही जीवन है । जीवन में भूख भो है और भोग भी है।
गठवन्धन नहीं
अवस्था गणितका सवाल है। संस्कारका . उद्बोधन अन्तरको वत्तियोंका सवाल है । इन दोनोंमें कोई गठबन्धन नहीं ।
भाव और अनुभाव
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