________________
श्रद्धाको भाषा
श्रद्धा ज्ञानको परिपक्व दशाका नाम है। ज्ञानके अभावमें जो श्रद्धा होती है वह यथार्थमें श्रद्धा नहीं होती, किन्तु एक संस्कारगत रूढ़ि होती है।
व्यक्तिमें सबसे बड़ा बल श्रद्धाका है। श्रद्धा टूटती है, तब पैर थम जाते हैं, वाणी रुक जाती है और शरीर जड़ हो जाता है। श्रद्धा बनती है तब ये सब गतिशील बन जाते हैं ।
भाव और अनुभाव
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
___www.jainelibrary.org
ww