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जड़कों बात
विकास स्वतन्त्र परिस्थिति में ही हो आलोक में मैने देखा : शाखाएँ बढ़ती
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सकता है, इस सिद्धान्त के चली जा रही हैं ।
विकास तभी हो सकता है जब मूल सुदृढ़ हो, इस सिद्धान्त के आलोक में मैंने देखा : शाखाएँ बढ़ती चली जा रही हैं ।
टिकेंगे वे ही, जिनकी जड़ें सुदृढ़ हैं । पत्र, परिणाम हैं, निदान नहीं । ये उसको शोभा नहीं ।
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पुष्प और फल वृक्षके बढ़ानेवाले हैं, आधार
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भाव और
अनुभाव
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