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मृत्यु- महोत्सव
सफलता जीवनमें होती है पर मृत्यु सबसे बड़ी सफलता है । जिसकी मृत्यु उत्कर्ष में न हो, आनन्दकी अनुभूतिमें न हो उसके मध्य जीवनकी सफलता विफलता में परिणत हो जाती है ।
मूल्यांकन
जो कुछ अच्छा कार्य होता है उसका अपने-आपमें मूल्य होता है किन्तु जनता के द्वारा उसका मूल्यांकन तभी होता है जब वह उस तक पहुँच पाये ।
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भाव और अनुभाव
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