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काम्य और अकाम्य
रुचिकी अपेक्षा सच यह है : जीवन काम्य है, मृत्यु अकाम्य । आचरणकी अपेक्षा सच यह है : जिसे जीवन काम्य है, उसे मृत्यु भी काम्य है और जिसे मृत्यु अकाम्य है, उसे जीवन भी अकाम्य है।
सही समझ
मायावीकी चालोंको समझना ज़रूर चाहिए। चालाकीको समझना हिंसा नहीं है, हिंसा है चालाकी करना।
भाव और अनुभाव
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