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गहरी डुवकी जितना प्रयत्न पढ़नेका होता है, उतना उसके आशयको समझनेका नहीं होता। जितना प्रयत्न लिखनेका होता है, उतना तथ्योंके यथार्थ संकलनका नहीं होता। अपने प्रति अन्याय न हो, इसका जितना प्रयत्न होता है, उतना दूसरोंके प्रति न्याय करनेका नहीं होता । गहरी डुबकी लगानेवाला गोताखोर जो पा सकता है, वह समुद्रकी झाँकी पानेवाला नहीं पा सकता।
भाव और अनुभाव
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