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जीवनके पीछे जीवन और क्या है ? देह और प्राणोंको चेतनाके साथ जो समन्विति है वही तो है। जो जिया जाता है, वही जीवन नहीं है। जिससे जिया जाता है वह भी जीवन है। खाये बिना कोई नहीं जीता, यह जितना सच है, उतना ही नहीं। उससे कहीं अधिक सच यह है कि खाने में संयम रखे बिना कोई नहीं जीता। संयम जीवन ही नहीं किन्तु जीवनका भी जीवन है।
भाव और अनुभाव
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