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गुप्तवाद
प्रेम प्रदर्शनकी वस्तु नहीं है । सरसोंके पीत पुष्पोंमें सौन्दर्यका दर्शन हो सकता है, उनके सौरभकी अनुभूति हो सकती है, पर स्नेहको कल्पना नहीं हो सकती। वह तब प्रकट होता है, जब उसके प्राण लिये जाते हैं ।
भाव और अनुभाव
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