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यह मुक्ति
भगवान् भक्तिके भूखे होते हैं, भक्त मुक्तिका । भक्त भगवान्को बाँधे या भगवान् भक्तको छोड़े। कौन क्या करे ? मुक्ति बन्धनमें-से निकलती है। जो बाँधना जानता है वह सब कुछ जानता है । कमलने मधुकरको बाँधा, चाँदने चकोरको। मधुकरको वहाँ मृत्यु स्वीकार है, चकोरको अग्नि-पान । ओह ! यह मुक्ति...
भाव और अनुभाव
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