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यह कैसा साम्य ?
परीक्षा-शक्ति नहीं होती, तबतक सब समान होते हैं। सब समान हों, किसीके प्रति राग-द्वेष न हो, यह अच्छाई है । पर ज्ञानकी कमीके कारण सब समान हों, यह अच्छाई नहीं है ।
यह कैसा ज्ञान ? अज्ञान दुःखका मूल है, इसमें कोई सन्देह नहीं । पर ज्ञान दुःखका मूल क्यों बन रहा है - यह प्रश्न-चिह्न आज अधिक स्पष्ट है ।
भाव और अनुभाव
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