Book Title: Bhagwati Sutra Sara Sangraha Part 03 Author(s): Purnanandvijay Publisher: Jagjivandas Kasturchand Shah View full book textPage 8
________________ Gan tha विजयधर्मसूरी स्तुति $3 जातो यन्मुखभाभरैरभिभवाद् म्लानोऽन्तरिन्दुः शुचा यद् देहद्युतितोज्जनतितरां भस्मीबभूवस्मरः । यद् भाग्यार्जन चिन्तया सुरगणोऽस्वप्नोऽविनिद्रोऽभवत् ज्ञानाद्वैतमतं पुनः प्रकटितं व्याप्तेर्भुवो यद्धिया ॥ १ ॥ प्रौढप्रतापभाजो जगदुपकारा जयन्ति ते गुरवः । शास्त्रविशारद जैनाचार्य श्री विजयधर्मसूरीन्द्राः || २ || प्रमाणपरिभाषा टीकाकार न्यायविशारद ध्यायतीर्थं मुनिराज श्री न्यायविजयजी. (()Page Navigation
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