Book Title: Avashyak Sutram
Author(s): Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti

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Page 56
________________ શ્રી આવશયક સુત્રમ ભાગ ૨૮ १० ११ १२ १३ उग्घाय (रजउद्धात ) अट्ठी (अस्थि) मंस (मांस) सोणिय ( शोणित) | सब दिशाओं में धूलका | छा जाना हाड मनुष्य तिर्येच का मांस मनुष्य तिर्येच का १४ अमुइ सामन्त (अशुचि सामन्त ) सुसाणसामन्त १५ ( श्मशानसामन्त ) १६ रायपडण (राजपतन) १७ रायनुग्गह (राजविग्रह) १८ चंदोवराग (चंद्रोपराग ) १९ खोबराग (सूर्योपराग) लोही मनुष्य' तिर्यच का तथा प्रसव का अवचि स्मशान ६० चन्द्रमा का ग्रहण सूर्य का ग्रहण 99 १०० हाथ मनुष्य का हाथ तिर्येच का हाड हो तो । मनुष्य का १०० हाथ तिर्यच का ६० हाथ ११०० हाथ २६० हाथ सातघरों के अंदर यदि बीचमें रस्ता न पडता हो राजाका अवसान राजाओं की लडाई उपनगर नगर के समीप सब जगह में सब जगह में 34 मनुष्य के हाड की अवधि १२ वर्ष ३ पहर ३३ पहर ३ कन्या प्रसव ८ अहोरात्र पुत्र प्रसव ७ अहोरात्र जब तक रहे जहां दीखे, गंध आत्रे. चारों तरफ सौ सौ (१००) हाथ जहां तक उसका राज्य हो । नया राजा बैठे तबतक जब तक होवे ४ । ८ । १२ पहर ४ । ८ । १६ पहर सव काल सूत्र नपढे 39 64 " " 33 " 64 " 34 " 66 66 " 34 " आवश्यकमुत्रस्म

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