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શ્રી આવશયક સુત્રમ ભાગ
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१०
११
१२
१३
उग्घाय (रजउद्धात )
अट्ठी (अस्थि)
मंस (मांस)
सोणिय ( शोणित)
| सब दिशाओं में धूलका |
छा जाना
हाड मनुष्य तिर्येच का
मांस मनुष्य तिर्येच का
१४ अमुइ सामन्त (अशुचि सामन्त )
सुसाणसामन्त
१५
( श्मशानसामन्त )
१६
रायपडण (राजपतन)
१७
रायनुग्गह (राजविग्रह)
१८
चंदोवराग (चंद्रोपराग )
१९ खोबराग (सूर्योपराग)
लोही मनुष्य' तिर्यच
का तथा प्रसव का
अवचि
स्मशान
६०
चन्द्रमा का ग्रहण
सूर्य का ग्रहण
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१०० हाथ मनुष्य का हाथ तिर्येच का हाड हो तो
।
मनुष्य का १०० हाथ तिर्यच का ६० हाथ
११०० हाथ २६० हाथ सातघरों के अंदर यदि बीचमें रस्ता न पडता हो
राजाका अवसान
राजाओं की लडाई उपनगर नगर के समीप
सब जगह में
सब जगह में
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मनुष्य के हाड की अवधि १२ वर्ष
३ पहर
३३ पहर
३ कन्या प्रसव ८ अहोरात्र पुत्र प्रसव ७ अहोरात्र
जब तक रहे
जहां दीखे, गंध आत्रे.
चारों तरफ सौ सौ (१००) हाथ
जहां तक उसका राज्य हो । नया राजा बैठे तबतक
जब तक होवे
४ । ८ । १२ पहर
४ । ८ । १६ पहर
सव काल
सूत्र नपढे
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आवश्यकमुत्रस्म