Book Title: Apbhramsa Vyakarana Hindi
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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( xxxiii) स्वर : 1. मूल के इकहरे स्वर सामान्य नियम के अनुसार सर्वत्र यथावत् रहते हैं । अपवाद : (1) आध 'ऋ> 'रि', अनाद्य 'ऋ'>'अ', 'इ', (ओष्ठय संदर्भ में) 'उ' । (2) संयुक्त व्यंजन का अथवा अनुस्वार पूर्ववर्ती दीर्घ स्वर ह्रस्व हो जाता है। क्वचित नासिक्य व्यंजन के पूर्व स्थित 'ए', 'ओ' हस्व हो जाते हैं । (3) 'स्सू' और 'व्' इकहरे बनने पर पूर्व स्वर दीर्घ हो जाते हैं । (4) क्वचित् आद्य स्वर (वाक्य संधि के फलस्वरुप) लुप्त हो जाते हैं ।
2. संयुक्त स्वरों में 'ऐ' > 'ए' या 'अइ' और 'औ' > 'ओ' या 'अउ'ऐसी प्रक्रिया है।
3. अपभ्रश में अंत्य स्वर हस्व होता है, अतः मूल के अंत्य दीर्घ स्वर हुस्व बन जाते हैं, और 'ए' का हस्व 'ए' या 'इ', 'ओ' का ह्रस्व 'ओ' या 'उ' होता है । क्वचित् अंत्य 'अ' का 'उ' हो जाता है ।
व्यंजन : व्यंजन के परिवर्तन का आधार उनके शब्दगत स्थान और संदर्भ पर निर्भर होता है ।
4. इकहरे आद्य व्यंजन यथावत रहते हैं । अपवाद : (1) अपभ्रश पांडुलिपियों में आद्य 'न्' के स्थान पर 'ण' लिखने का विशेष पचलन है। (2) 'य'>'ज्' । (3) '', 'पू'> 'स' (क्वचित् 'छ')) (4) क्वचित अल्पप्राण का महाप्राण होता है।
5. इकहरे अंत्य व्यंजन लुप्त हो जाते हैं ।
6. इकहरे मध्यवर्ती व्यंजनों में निम्न अनुपार परिवर्तन होते हैं । (1) '', 'ग', 'च', 'ज', 'त्', 'द', 'य्' बहुधा लुप्त होते हैं । परवती (या पूर्ववर्ती तथा परवर्ती) स्वर यदि 'अ' या 'आ' होते हैं तब लुप्त व्यंजन के स्थान पर यश्रुति आती है। पूर्वस्वर 'उ', 'ओ' हों तो क्वचित् वश्रुति आती है । पांडुलिपियों में यश्रुति तथा वश्रुति के विषय में काफी अनवस्था है । (2) क्वचित् उपर्युक्त व्यंजन लुप्त न होकर उनमें का घोष व्यंजन यथाक्त् रहता है, अघोष घोष बन जाता है। (3) 'ख', 'घ', 'थ', 'घ', 'फ', 'भ' का 'ह' होता है। (4) क्वचित् (3) में सूचित का 'ह' न हो कर, उनमें का घोष यथावत् रहता है और यदि अबोष हो तो घोष बनता है । (5) 'ट'>'ड', 'ठ' >'ढ' । (6) 'न्'>''। (7) 'प'> 'व'. '' यथावत् रहता है परंतु क्वचित् उसका 'व' हो जाता है । (8) 'म' का क्वचित् 'व' होता है । (9) 'अ', 'आ' के सिवा अन्य स्वरों के पूर्व 'व' क्वचित लुप्त होता है। (10) 'श', 'ष' > 'स', । (11) क्वचित् 'स', 'श'
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