Book Title: Apbhramsa Vyakarana Hindi
Author(s): H C Bhayani
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad
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उदा० (१) जेवडु अंतरु रावण - रामह, तेवडु अंतरु पट्टण - गामहं ॥
शब्दार्थ
छाया
अनुवाद
वृत्ति
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वृत्ति
जेवडु - यावत् | अंतरु - अन्तरम् । रावण - राम-रावण - रामयोः । तेवडुतावत् । अंतरु - अन्तरम् । पट्टनम - पट्टण - ग्रामयोः ।
यावत् अन्तरम् रावण - रामयोः तावत् अन्तरम् पट्टण - ग्रामयोः ।
उदा० (२) जेत्तुलो । तेतुलो । यावान् । तावान् ।
जितना । इतना |
६७
पक्षे ॥ अन्य पक्ष में :
जितनी राम और रावण के बीच दूरी, उतनी (ही) नगर और गाँव
के बीच दूरी ।
"
वेद - किमया : ||
विकल में 'इदम्, 'किदम्' के 'य' से आरंभ होते का ।
अपभ्रंशे 'इदम् ' 'किम्' इत्येतयोरत्वन्तयोरियत्-कियतोर्यकारादेरवयवस्य डितू - ' एवढ' इत्यादेशो वा भवति ।
अपभ्रंश में अंत में 'अतु' हों ऐसे 'इदम्' और 'किम्' के- (अर्थात् 'इवत् ' और 'कियत्' के यकार से आरंभ होते अंश का डित् ऐसा 'एवड' आदेश विकल्प में होता है ।
वृत्ति
पक्षे । अन्य पक्ष में ।
उदा० (२) एतुलो । केतुलो ।
छाया
उदा० ( १ ) एवडु अंतरु । केवडु अंतरु |
छाया
इयत् अन्तरम् । कियत् अन्तरम् । इतना अन्तर । कितना अंतर ?
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इयान् कियानू । इतना । कितना ।
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