Book Title: Anusandhan 2008 06 SrNo 44
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 14
________________ जून २००८ रचनामां गा. ६मां करेलो अणहिलवाड नो उल्लेख तथा वर्णन जोतां, पाटणना नेमिनाथ-चैत्यने अनुलक्षीने थयेली ते रचना जणाय छे. १२ मा स्तोत्रमा भगवाननी अनेकविध पूजा- सरस वर्णन थयुं छे, जे ते कालमां पण आ बधा पूजाप्रकारो चलणमां होवानो संकेत आपी जाय छे. प्रभुनी रत्नादिथी आंगीनो उल्लेख जेने 'शृङ्गार' (गा. ५) तरीके ओळखावेल छे, ते नोंधपात्र छे. न्हवण, विलेपन, मण्डन, उद्ग्राहण, धूप, वस्त्र, वाद्य, गीत, नाट्य आदि अनेक प्रकारोनो आमां निर्देश छे. पोताना गुरु श्रीधर्मसूरिनी गुणस्तुतिरूप आ रचना ३६ पद्योमा विस्तरेली छे. समग्र रचनानुं अवलोकन करतां ते एक विरह-रचना होय अने आचार्यना स्वर्गगमन बाद तुरतमां रचवामां आवेल होय तेवी छाप पडे छे. कर्तानो गुरु प्रतिनो लगाव आवा शब्दो द्वारा छतो थाय छे : “हे प्रभु ! आ जगतमां मारु प्रिय काई होय, मारा माटे मंगलकारी कांई होय, के मारा माटे श्लाघास्पद काई होय तो ते फक्त तमे अने तमे ज छो; तमारा सिवाय कांई नथी." (गा. १४). गुणकीर्तनमा क्वचित् अतिशयोक्तिभर्यु वर्णन थाय तो ते पण क्षम्य छे, एम कही शकाय. कवि गा. ११ मां गुरुनी गच्छ-संचालन-क्षमतानुं वर्णन आम करे छे : "स्वामिन्! तमे गच्छरूप समुद्रने एवी तो मर्यादामां बांधी राखीने पाळ्यो छे, के तेने लीधे ते (गच्छ) ते ज भवमां के पछी त्रीजा भवमां मोक्षे जाय ज." समग्र षट्विंशिकामां वीखरायेला पडेला ऐतिहासिक तथ्यो कांईक आवां छे : १. एमणे गुणचन्द्र नामना वादीने जीत्यो हतो (गा. ७)२. राजसभामां तेओ वादमां वादीओने जीतता हता (गा. १८). ३. एक प्रहरमां ५०० गाथा याद करी शके तेवी तेमनी प्रज्ञा हती (गा. १६). ४. तेमणे घणी जिनप्रतिमाओनी प्रतिष्ठा करी हती (गा. १७). ५. तेमनां मातानुं नाम 'लक्ष्मी' हतुं (गा. २५). ६. ९ वर्षनी वये दीक्षा लीधी; ९ वर्षना संयमपर्याय पछी सूरिपद पाम्या; ६० वर्ष सूरिपद भोगव्यु, ७८ वर्ष आयु पाळी, संवत् १२३७ ना भादरवा शुदि एकादशीने सोमवारे तेओ स्वर्गस्थ थया हता (गा. ३३-३४). Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126