Book Title: Anusandhan 2008 06 SrNo 44
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

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Page 114
________________ जून २००८ १०७ भगवतीसूत्रमां, चाउज्जामथी आ व्रतोने भिन्न देखाडवा तेनो निर्देश पंचजाम - एवो कर्यो छे. आ सूत्रना २५मा शतकना ३जा उद्देशामां पांच संयमोनुं वर्णन करती पांच गाथाओ छे. तेमांनी प्रथम बे गाथाओ अहीं आपणा अभ्यास माटे प्रस्तुत छे. प्रथम संयम ते सामायिक संयम छे. आचाराङ्ग सूत्र प्रमाणे तेनी व्याख्या-सर्व सावद्य योगोथी विरमवुं - एवी छे, अने आवुं सामायिक भगवान महावीरे कर्तुं हतुं – “सव्वं मे अकरणिज्जं पावकम्मं ति कट्टु सामाइयं चरितं पटिवज्जइ ॥ " भगवती सूत्रनी उपरोक्त पांच गाथामांथी प्रथम गाथामां कह्युं छे के "सामयिक पोते ज अनुत्तर चाउज्जाम धर्म छे. "१ हवे जो आवी वात होय तो अहीं एवं भासे के महावीरे दीक्षा ग्रहण करती वखते चाउज्जाम धर्म स्वीकार्यो हशे. जो के कोई पण श्वेताम्बर टीकाकारे आवुं विधान कर्तुं नथी. बीजी गाथामा छेदोपस्थापन संयमनी व्याख्या करी छे. अहीं एम कह्युं छे के छेदोपस्थापन ते पंचजाम अर्थात पञ्चमहाव्रतवाळा संयम साथे सादृश्य धरावे छे. २ दिगम्बर परम्परामां, जो के, चाउज्जाम शब्द ज नथी, छतां सामायिक अने छेदोपस्थापन पदो प्राचीन दिगम्बर शास्त्र आचार्य वट्टकेर रचित मूलाचारमां छे. तेमां कह्युं छे के सर्व सावद्ययोगोथी विरतिरूप सामायिक संयमनो, क्यारेक अतिचार लागे तो तेना प्रतिक्रमण साधे, उपदेश २४मांथी २२ तीर्थकरो आप्यो छे. ज्यारे ऋषभदेव अने महावीर नामना प्रथम अने अन्तिम तीर्थङ्करो तो नित्य प्रतिक्रमण साथे छेदोपस्थापन चारित्रनो उपदेश आप्यो छे. ३ श्वेताम्बर पाठोमां सामायिक शब्दनुं चाउज्जाम साथे साम्य कई रीते बताव्युं छे ते तो एक रहस्य ज रहे छे. वली, कोई पण टीकाकारो पोतानी टीकामां आना विशे कोई खुलासो आपता नथी. जो के, चाउज्जाम शब्द तो बीजी जैन १. सामाइयंमि ३ कए चाउज्जामं अणुत्तरं धम्मं । तिविहेण फासयंतो सामाइयसंजमो स खलु ॥ २. छेत्तूण य परिपायं पोराणं जो ठवेइ अप्पाणं । धम्मंमि पंचजामे छेओवट्ठावणो स खलु ॥ मूलाचार - ५३५ गाथा । ३. Jain Education International - For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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