Book Title: Anusandhan 2008 06 SrNo 44
Author(s): Shilchandrasuri
Publisher: Kalikal Sarvagya Shri Hemchandracharya Navam Janmashatabdi Smruti Sanskar Shikshannidhi Ahmedabad

View full book text
Previous | Next

Page 121
________________ ११४ अभ्यास करे छे तेमना मते छे.' (तेसं सञ्ञाय). . आ सार्थक विधानथी ए साबित थाय छे के टीकाकार (बुद्धघोष ) चातुयाम संवरना अभ्यासीओ साथै सम्पर्कमां हशे अने तेमनी पासेथी ज तेने चोथा व्रतनो आवो अर्थ मळ्यो हशे आ अर्थ विश्वसनीय ज छे कारण के स्थानाङ्गसूत्रमां रहेल बहिद्धादान शब्दनो अर्थ जेवो सन्दिग्ध रहे छे (अर्थात्ते मैथुनपरक - परिग्रहपरक के बन्ने परक छे), तेवो ज सन्दिग्ध अर्थ अहीं पण छे. कारण के, इन्द्रियना सुखो एटले काम जेम स्त्री साथे तेम बाह्यवस्तुओ साथै पण जोडाई शके छे. परन्तु, अहीं दुर्भाग्ये मूळ पालीसुत्त के अट्ठकथा बेमांथी क्यांय आ चातुयाम संवरनी अभ्यासी व्यक्ति के परम्परानो निर्देश नथी. अनुसन्धान ४४ जो के, एक वस्तु तो अहीं निश्चित छे के बौद्धोए बीजा परिव्राजको के तापसोना देहदमनना अभ्यासो अने चातुयाम संवर वच्चे घणो तफावत जोयो छे, अने बुद्धे पोते पण आ चातुयाम संवरने तिरस्कार्यो के दूषित नथी कर्यो, एवं उपरोक्त संवादो जोतां जणाय छे. आगल बुद्ध उमेरे छे के - 'जे तपस्वी चातुयाम संवरने पाळतो आगळ वधे छे ते ध्यान(ब्रह्मविहारो) ने पामी शके छे अर्थात् मैत्री - करुणा-मुदिताउपेक्खाने अनुभवी शके छे. परन्तु तेनाथी पण ते सर्वोच्च कक्षाए पहोंची शकतो नथी, ते वृक्षनी छालने ज पामी शके छे तेना सारने नहि. १ फरी निग्रोध द्वारा पूछाये छते बुद्ध कहे छे के 'त्यांथी पण आगळ वधीने ते मानसिक अवरोधोने दूर करीने पोताना सेंकडो-हजारो पूर्वभवोने जोवानी अतीन्द्रिय शक्तिने पण पामी शके छे. पण ते शक्ति पण वृक्षनी शिरा सुधी पहोंचाडी शके पण तेनो सार पमाडी शकती नथी. ' 'त्यार पछी पण जे आगळ वधे ते दिव्वचक्खु अभिन्न तरीके ओळखाती दिव्य दृष्टि सुधी पहोंची शके छे, के जेनाथी ते विविध जीवोने तेमनां सारां- नरसां कर्मोने कारणे विविध गतिओमां जतां आवतां जोई शके छे. ' त्यारे निग्रोध पूछे छे - 'भगवन् ! शुं त्यारे ते तपस्वीनी तपस्या आ बधी वस्तुथी अत्यन्त शुद्ध थई जाय छे अने उच्च कक्षाने तथा वृक्षना सारने पामी ले छे ?' १. दीघनिकाय ३ : ४८-४९ । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 119 120 121 122 123 124 125 126