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अब थांरी गाड़ी हॅकबा में चतुर पाहुने! अब तो तू जाग जा! क्योंबिल तेरी गाड़ी अब जंक्शन छोड़कर खाना होने को ही है। अगर अब भी नहीं जागा तो त कब टिकिट लेने के लिए प्रयत्न करेगा?
'एक-एक पल के बहाने तेरी उम्र कम होती जा रही है तथा मौत नजदीक आ रही है। तू तो अपना मार्ग भूलकर मोह की नींद में ही अभी तक सोया हुआ है। पर तेरी गाड़ी तो अब चलने वाली है।'
आगे कहा है -- 'भोले जीव! बर-बार प्रेरणा करने पर भी तू धर्म-स्थान में नहीं आया। और आया भी तो सन्तों के उपदेशों को सुनकर उस पर अमल नहीं किया। अपना कितना वक्त व्यर्थ में ही बरबाद कर दिया? पर अब बीते हुए के लिये क्या कहा जाय, आगे के लिये ही चेतावनी देते हैं कि अब तो जाग और पुण्योपार्जन-रूप टिकिट लेने का प्रयत्न कर! तेरी गाड़ी के रवाना होने का समय हो गया। वह चलने वाली है।
मानव-जीवन का महत्त्व हमारे शास्त्रों में जीव के पाँच सौ सठ भेद बताए गए हैं। इनमें से मनुष्य गति में आई हुई आत्मा अपनी शुभाशुभ उतरनी के द्वारा सभी गतियों में जा सकती है। स्त्रियों सातवें नरक में नहीं जाती का पुरुष इतना बहादुर है कि वह वहां भी बिना रोक-टोक चला जाता है।
सुनकर आपको हँसी आ रही हगो पर बात यथार्थ है। पुरुष पाप-कर्मों में भी स्त्रियों से आये ही रहता है। फिर भी आपको निराश नहीं होना चाहिये क्योंकि उत्तम करनी करने पर आप मोक्ष में तो जा ही सकते हैं न!
कुछ धर्मावलम्बी कहते हैं कि माष्य मृत्यु के बाद पुन: मनुष्य नहीं बन सकता यह बात ठीक नहीं है। उत्तम बरनी करनेपर मनुष्य मरकर पुन: मनुष्य भी बन सकता है।
__ "ठाणांग सूत्र' के चतुर्थ ठाणे में बताया है कि चार बातों से मनुष्य-पद प्राप्त होता है
'पगईभइयाए, पगईविणीययाए, साणुकोसे, अमच्छरियाए।' मनुष्य जन्म पाने के चार कारणों में पहला कारण है मनुष्य का प्रकृति से भद्र होना।
भद्र व्यक्ति का हृदय अत्यन्त सस्ता और निष्कपट होता है । तथा उसका आचरण भी उसके हृदयअनुरुप ही बन जाता है, आज का मनुष्य-जीवन ऊपरी दिखावे के कारण बहुत दूषित हो गया है। परिणाम यह हुआ है कि कोई भी व्यक्ति दूसरे का विश्वास नहीं करता। सभी एक दूसरे को सन्देह की दृष्टि से देखते