Book Title: Anand Pravachana Part 1
Author(s): Anandrushi
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 343
________________ • [३३३] आनन्द प्रवचन : भाग १ नहीं मानता, वही सचा महापुरुष कहलाता है।। वास्तव में, नेक पुरुष का यही लक्षण है कि वह दूसरों के द्वारा प्रशंसा और सराहना किये जाने की कामना से रहित होकर संसार के प्राणियों की भलाई में जुटा रहे। इतना ही नहीं, अपने सकार्यों के बदले में उसे लोगों से उपहास, गालियाँ, निंदा और शारीरिक यातनाएँ प्राप्त हों, तो भी वह अपने नेक कार्यों से मुँह न मोड़े तथा उन्हें अज्ञानी समझका क्षमा करता जाय, तभी वह अपने नाम को और अपनी नेकनामी को सदा के लिये अमर और स्मरण करने योग्य बना सकता है। बन्धुओ, आशा है कि आप भी नेकी के मार्ग पर चल कर नेकनामी हासिल करेंगे तथा अपने जीवन को सार्थक बनाएंगे। लोगों से उपहास, अज्ञानी समझकरतो , तो भी वह

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