Book Title: Anand Pravachana Part 1
Author(s): Anandrushi
Publisher: Ratna Jain Pustakalaya

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Page 304
________________ जन्माष्टमी से शिक्षा लो ! [२९४] रादण प्रतिवासुदेव था। वह अनेकानेक उत्तम गुणों से संयुक्त और शूरवीर होते हुए भी पर स्त्री हरण की भूल कर बैठा तथा वासुदेव के हाथों से मारा गया। जरासंध भी प्रतिवासुदेव था किन्तु धनीति पर उतारू हो गया और वासुदेव कृष्ण के हाथों मारा गया। अभिप्राय कहने वत यही है कि प्रतिवासुदेव यद्यपि श्लाघनीय पुरूष होते हैं तथा संसार में प्रतिष्ठित माने जाते हैं किन्तु कुछ गलतियाँ कर जाने के कारण अपयश का भी उपार्जन करते हुए वासुदेव के हाथों मारे जाते हैं। कृष्ण वासुदेव और पुरूषोत्तम थे। बाज के दिन अपने मामा कंस के बन्दीगृह में उन्होंने जन्म लिया था। जन्म लिया, अह शब्द मैंने गीता के आधार पर कहा है। गीता में उल्लिखित है कि कृष्ण ने अर्जुन से कहा अर्थात् जब-जब रक्षण करता हूँ । यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत ! अभ्युत्थानमधर्मस्य, तत्मानं सृजाम्यहम् । धर्म का नाश होत है, तब-तब मैं अवतार लेकर उसका गीता का वचन है कि जब दुनियाँ में पृथ्वी का भार बढ़ जाता है, तब महापुरुष उसे हलका करने के लिए जन्म लेते हैं। पृथ्वी पर भार बढ़ जाने का अर्थ मनुष्यों की संख्या बढ़ जाने तथा उनके भार से पृथ्वी के बोझिल हो जाने से नहीं है। पृथ्वी पर भार बढ़ने का अर्थ है - संसार में अनीति का बढ़ जाना तथा कलह, वैमनस्य, ईर्ष्या, पाखंड तथा नास्तिकता का प्रसार हो जाना। यही सब मिलकर पृथ्वी को भारभूत बनाते हैं और उस भार को हलका करने के लिए कोई न कोई पुरुषोत्तम इस पृथ्वी पर अवतरित ★ते हैं। जिस समय कृष्ण ने जन्म लिया था उस समय भी धर्म और नीति के कई शत्रु थे । यथा कंस, जरासंघ, दुर्योधन, नरकासुर कालयवन तथा कालीनाग । ये सभी उस समय अधर्म और अनीति के मार्ग पर चलकर प्रजा को त्रस्त किये हुए थे। अत: कृष्ण ने पृथ्वी पर के भयातुर प्राणियों को इनके अत्याचारों से छुटकारा दिलाया तथा धर्म की रक्षा की। दूसरे शब्दों में अनीति के मार्ग पर चलने वालों को दंड दिया तथा नीति और धर्म के मार्ग पर चलने वाले सत्पुरुषों की रक्षा की। इन दुष्कर कार्यों को सम्पन्न करने की सामर्थ्य रखने के कारण ही वे पुरुषोत्तम कहलाए। होनहार बिरवान के होत चीकने पात कहावत का अर्थ है होनहार वृक्षों के पत्ते प्रारम्भ से ही चिकने होते हैं। यही बात आप और हम मनुष्यों के लिए भी कहते हैं कि होनहार व्यक्ति बाल्यावस्था से ही दयालु, चतुर, कुशाग्रबुद्धि, चपल और साहसी होता है। यानी बचपन में ही उसमें अनेक सुन्दर गुण पाये जाते हैं। प्रसिध्द भक्त नामदेव के बचपन -

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