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Z(प्रकाशकीय ।
सचित्र आगम प्रकाशन के अभियान में पद्म प्रकाशन ने प्रस्तुत श्री आवश्यक सूत्र के प्रकाशन-यज्ञ को सम्पन्न करके एक और सोपान का स्पर्श कर लिया है। बत्तीस आगमों के सचित्र प्रकाशन के जिस लक्ष्य को लेकर हमने अपने अभियान की शुरुआत की थी, हम उस लक्ष्य-सिद्धि के अत्यन्त समीप पहुँच गए हैं। निःसन्देह यह एक दुरुह और दुर्गम यात्रा रही। विभिन्न बाधाएं कदम-कदम पर चुनौतियाँ बनती रहीं। कई बार प्रतीत हुआ कि इस प्रकाशन अभियान को आगे बढ़ा पाना सम्भव नहीं होगा। परन्तु इस सब के बावजूद किसी दिव्य शक्ति के अदृश्य संबल से एवं पूज्य प्रवर्तक गुरुदेव श्री अमरमुनि जी महाराज के आशीष से कार्य अनवरत चलता रहा। बाधाएं स्वतः ध्वस्त होती रहीं। पूज्य प्रवर्तक श्री जी का आशीष, हाथ पर रखे हुए दीपक की भाँति हमारे यात्रापथ को आलोकित करता रहा। आज जब हम शिखरारोहण के समीप हैं तो हार्दिक आह्लाद और आध्यात्मिक उमंग का घट छलक-छलक रहा है।
अतीत में आवश्यक सूत्र पर अनेक आराध्य आचार्यों, मुनिराजों एवं विश्रुत विद्वानों ने अपनी कलम चलायी है। आवश्यक सूत्र के कई उपयोगी संस्करण आज सुलभ हैं। परन्तु सचित्र आवश्यक सूत्र का अभाव अद्यतन बना हुआ था। एकाध सचित्र प्रकाशन देखने में भी आये, पर उनमें साधक की मुद्राएँ आदि ही चित्रित हैं। सूत्र का सम्पूर्ण हार्द चित्रों में प्रकट हो ऐसा आवश्यक सूत्र अद्यतन प्रकाशित नहीं हुआ है। इस दृष्टि से प्रस्तुत प्रकाशन सर्वथा नवीन है। भाषा-शैली की दृष्टि से भी प्रस्तुत श्री आवश्यक सूत्र अज्ञ-विज्ञ सभी पाठकों के लिए सर्वथा उपयोगी होगा। प्रस्तुत सूत्र को विधि सहित संयोजित किया गया है जिससे साधारण
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