________________ व्यावसायिक क्षेत्र में जैसे-जैसे ख्याति फैलती गई, वैसे-वैसे आपने धार्मिक और सामाजिक कार्यों में तन-मन-धन से योग देने की कीर्ति भी उपार्जित की है। शुभ कार्यों में सदैव अजित अर्थ को विनियोजित करते रहते हैं। संग्रह नहीं अपितु संविभाग करने की दृष्टि से मद्रास जैसे महानगर की प्रत्येक जनोपयोगी प्रवृत्ति से आप संबद्ध हैं / अनेक सार्वजनिक संस्थाओं को एक साथ पुष्कल अर्थ प्रदान कर स्थायी बना दिया है। आप मद्रास एवं अन्य स्थानों की जैन संस्थानों से किसी न किसी रूप में संबन्धित हैं। अध्यक्ष, मंत्री आदि आदि अधिकारी होने के साथ ऐसी भी संस्थायें है, जिनके प्रबन्ध-मंडल के सदस्य न होते हुए भी प्रमुख संचालक हैं / कतिपय संस्थाओं के नाम इस प्रकार हैं, जिनके साथ आपका निकटतम सम्बन्ध है 0 श्री एस. एस. जैन एज्यूकेशन सोसायटी, मद्रास 0 श्री राजस्थानी एसोशियेशन, मद्रास J श्री राजस्थानी श्वे. स्था. जैन सेवासंघ, मद्रास 0 श्री वर्धमान सेवासमिति, नोखा - श्री भगवान महावीर अहिंसा-प्रचार-संघ 1 स्वामीजी श्री हजारीमलजी म. जैन ट्रस्ट, नोखा ___ सदैव संत-सतियांजी की सेवा करना भी आपके जीवन का ध्येय है / आपकी धर्मपत्नी भी धर्मश्रद्धा की प्रतिमूर्ति एवं तपस्विनी हैं। आपके ज्येष्ठ भ्राता श्री रतनचंदजी और बादलचंदजी भी धार्मिक वृत्ति के हैं। वे भी प्रत्येक सत्कार्य में अपना सहयोग प्रदान करते हैं / आपका परिवार स्वामीजी श्री व्रजलालजी म. सा., पूज्य युवाचार्य श्री मिश्रीमलजी म. सा. 'मधुकर' का अनन्य भक्त है। आपने इस ग्रन्थ के प्रकाशन में श्री आगम प्रकाशन समिति को अपना महत्त्व पूर्ण सहयोग प्रदान किया है / एतदर्थ समिति प्रायकी आभारी है एवं अपेक्षा रखती है कि भविष्य में भी समिति को पापका संपूर्ण सहयोग मिलता रहेगा। मंत्री श्री प्रागम-प्रकाशन समिति, ब्यावर Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org