Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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५७२
आतिय-आमतेत्ता
आतिय [आदिक] रा०६३,६५ आतोज्ज [आतोद्य | जी० ३१५८८ आदंसग [आदर्शक] जी० ३१३५५ आवंसमुह [ आदर्शमुख ] जी० ३।२२६ आदर | आदर] ओ०६७. रा० १३,६५७ आदरिसफलग [आदर्शफल क] ओ० २७. रा०
८१३
आदि [आदि] ५२,७०. जी० ११४६; २११३१;
३.२२६,२५०.८६६.८७२,८७५.८७६,८७६, ८८१,६२६,६२७,६३७,६४१,६४८,६४६,
६५२,१०८४,१०८६,६४१४६ आदिगर | आदिकर ओ० ५४. रा० ८,२६२.
जी० ३।४५७ आदिय | आदिक] रा० ७४,८२,११८. जी०
४५७,४५९,४६१,४६२,४६५,४७०,४७७,
५१६,५२०,५४७,७७५,६३६,११२१ से ११२३ आभरणचित्त आभरणचित्र] जी० ३५९५ आभरणविहि [आभरणविधि] ओ० १४६ रा०
८०६ आभा | आमा] ओ० ५१ आभासित आमाषिक जी० ३।२१६ आभासिय आभाषिक ] जी० ३।२१६ आभासियदीय | आभाषिकद्वीप] जी० ३.२१६,
२२३ आभासिया (आभाषिका] जी० २११२ आभिओगिय [आभियोगिक ओ० १५६. रा०
६,१०,१२,१३,१७ से १६,२४,३२,४१,४६, ५४,२७८,२७९,२६०,६५४,६५५. जी. ३।४४४,४४५,४५०,४५३,४५६,५५४,५५५,
आदीय |आदिक] जी० ३१२५६,६५० आवेज्ज [आदेय ] जी० ३१५६६,५६७ आदेस [आदेश] जी० ११५८,७३,७८,८१,२।२०,
४८ आधार [आहार | जी० १.१२८
आधाव आ+धाव-आवावंति जी० ३.४४७ आपडिपुच्छमाण आप्रतिपृच्छत् | ओ०६६ आपुच्छणिज्ज [आपच्छनीय] रा० ६७५ आपूरत [आपूर्यमाण] जी० ३१७३१ आपूरेमाण [आपुर्यमाण'] रा० ४०,१३२,
१३५,२३६. जी० ३।२६५,३०२,३०५,३६८. आबाह [आबाध | ओ०१६६ आवाहा (आराधा जी० ३६२०,६२५ आभरण [आभरण] ओ० २०,५२,५३,६३.
रा०६९,७०,१५६,१५७,२५८,२७६,२८१, २८६,२६१,२६४,२६६,३००,३०५,३१२, ३५५,६८५,६८७,६८६,६६२,७००,७१६,
७२६,६०२. जी० ३.३२६,४९६,४४७,८५२, १-आपूरयन्ति शत्रन्तस्य शाबिंद रूपम् [जी०
वृत्ति ।
आभिणिबोधियणाणि आभिनिबोधिकज्ञानिन |
जी० ३.१०४,११०७ आभिणिबोहियणाण [आभिनिबोधिकज्ञान)
ओ०४० रा० ७३६ से ७४१,७४६ आभिणिबोहियणाणविणय [आभिनिबोधिकज्ञान
विनय ओ० ४० आभिणिबोहियणाणि आभिनिबोधिकज्ञानिन् ।
ओ० २४. जी० ११८७,६६,११६,१३३; ६।१५६,१६०,१६५,१६६.१६८,२०४,२०८ आभिणिबोहियनाणि आभिनिवाधिकज्ञानिन]
जी०६।१९७ आभियोग | आभियोग्य ] रा० ४७ आभियोग्ग [अभियोग्य] रा १० आभिसेक्क आभिषेक्य] मो० ५५ से ५७,६२
से ६४,६६ आभोएत्ता | आय] १०८१६ अभीएमाण [आभागयत् | रा० ७
आमंत | आ.+ मन्त्रम् ---आमतेइ ओ० ५५ आमंतेत्ता आमन्त्र्य] ओ०५५. रा०६६८
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