Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 422
________________ वत्यु-वरुणोद ७२६ यत्यू [वस्तु,वास्तु ओ०१ वयजोग [चोयोग] ओ० १७५,१७७,१७६,१८२ वत्थुलगुम्म [वास्तुलगुल्म ] जी० ३।५८० वयण वचन ] ओ० ४६,५६,५७,५६,६१,६६. वस्थुविज्जा वास्तुविद्या ओ० १४६. ग० ८०६ रा० १०,१४ से १६,१८,७४,२७६,६५५,६८१, Vबद [वद्]-वदत्. ओ० ६६. रा० ६९५. ६६६,७०७. जी०३१४४५,५५५ -वदेज्जा. रा० ७५१। वयण वदन] ओ० १५,१६,२१,५४, रा०६७२. वदण विदन] जी० ३१५६६ से ५९८ जी० ३.५९७ वदित्ता [वदित्वा] ओ० ७६ क्यबलिय वचोबलिक] ओ०२४ यद्दलियाभत्त बालिकाभक्त ] ओ० १३४ क्यरामय [वनभय रा०१७४ बद्धण वर्धन ] जी० ३१५६२ वर [वर ओ० १,२,५,८ से १०,१२ से १४,१६, बद्धणी [नर्धनी ! जी० ३।५८७ २१,४६,४८,४६.५१,५४,५७,५.६,६३ से ६५, वद्धमाण [वर्धमान ओ० ४८,६८ ६७.१०७,१५३,१६५,१६६,१७२. रा० ३,४, वद्धमाणग [वर्धमानक) ओ० १२,६४. रा० २१, ८,६,१२,१३.२८,३२,४७,५२,५६,६८ से ७०, २४,४६,२६१. जी० ३१२७७,२८६ ७६,१२६,१३१ से १३३,१४७,१४८,१५६, वद्धमाणा [ वर्धमाना] रा० २२५. जी० ३.३८४, १६२,१७३,१८५,२१०,२१२,२२८,२३१,२३६, २४०,२७७,२८०,२८३,२८६,२६१,२६२,३५१, विद्धाव वर्धय]- वद्धावेइ. ओ० २०. रा० ६८०। ५६४,६५७,६६४,६७१,८१,६८३,७१०, -बद्धावेंति. रा० १२. जी० ३।४४२. ७१४,७६५,७७४,७६४,८०२,८०४,८१४. --वद्धावेति. रा० ४६ जी० ३१२७४,२८१,२८२,२८५,२६७,३०० से वडावेत्ता [वर्धयित्वा] ओ० २०. रा० १२. ३०३,३२१,३३२,३३५,३५४,३७२,३७३, जी० ३१४४२ ३८७,४४३,४४६ से ४४६,४५७,५१६,५४७, वप्प वप्र] रा० १७४. जी० ३.११८,११९,२८६ ५५७,५६२,५८६,५६१ से ५६३,५६५ से ५६७, वप्पिणी [दे०] ओ०१ ६०४,६४७,६७२,८५७,८६०,८८५ वम्भिय [वमित] रा० ६६४,६८३. जी० ३१५६२ वरवरय-बरइ. जी. ३१८३८,१६ वय [वचस्] ओ० २४. रा० ८१५ वरंग [वराङ्ग] जी० ३।३२२ वय {क्यस्] ओ० ४७ वरदाम वरदामन् । रा० २७६. जी. ३।४४५ वय [व्रत ] ओ० २५,४६ वरपुरिस वरपुरुप] जी० ३१२८१ विय विद्]--वइस्संति. रा० ८०२.--वएज्जा. वराह [वराह ] ओ० १६,५१. रा०२४,२७. रा० ७५०.-वयइ. ओ०७१.-..-वयामि. ___ जी० ३।२७७,२८०,५६६,१०३८ रा० ७३४.--वयासि. ओ० २०. रा० ७३४. जी० ३१४४८.-वयासी. रा०८. वरिसधर वर्षधर] ओ० ७०. रा० ८०४ जी० ३१४४२.--वयाहि. रा०१३ वरुण [वरुण ] जी० ३१७७५,८५७ विय वच-वच्छं. ओ० १६५१७. वरुणप्पभ | वरुणप्रभ] जी० ३१८५७ ___ जी० ३३२२६ वरुणवर वरुणवर] जी० ३१८५१,८५६,८५७, ८५६ वयंस [वयस्य ] जी० ३६१३ वयंसय वयस्थक] रा० ६७५ वरुणोद [वरुण द] जी० ३।२८५,८५६,८६०, वयगुत्त [वचोगुप्त] ओ० २७,१५२. रा० ८१३ ८६२,९५८,६६३ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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