Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 329
________________ ६३६ णव-जातिय णव नव] ओ० १,५,८,७१. रा०६१. जी० ३,२७४,५६७ णवंग नवाङ्ग] रा० ८०६,८१० णवण वमिया [नवनबकिका] ओ० २४ णवणीइयागुम्म नवनीतिकागुल्म] जी० ३३५८० णवणीत ( नवनीत | जी० २८४,२६७ णवणीय [नवनीत | ओ० १३,६२,६३. रा० ३१, ३७,१८५,२४५. जी० ३१४०७ णवनीय [नवनीत | जी० ३१३११ णवतय [नवत्वक् ] रा० ३७ णवमिया [नवमिका] जी० ३१६२१ गवय [नवक] रा० ७५६,७६१ णवरं | दे०] जी० ११५६ णवरि [दे०] जी० ११६६ गवविष [नवविध जी० ८१,५; ६।२२१,२३२ णह [नख ] ओ० ६२. रा० ८,१०,१२,१४,१८, ४६,७२,७४,११८,१५०,२७६,६५५,६८१, ६८३,६८६,७०७,७०८,७१३,७१४,७२३. जी० ३१५६७ गाइ [ज्ञाति ] ओ० १५०. रा० ७५१,७७४,८०२, णागद्दार [नागद्वार] जो० ३।८८५ णागधर [नागधर] ओ० ६६ णागपइ [नागपति] ओ० ४८ णागफड | नागस्फटा] ओ० ४८ णागमह नागमह] जो० ३३६१५ णागराय नागराज जी. ३७३४ से ७३६, ७४०,७४२,७४५,७४८ से ७५०,७८१,७८२ णागरुक्ख [ नागरूक्ष] जी० ११७१ णागलया [ नागलता] ओ० ११. जो० ३।५८४ गागलयामंडवग [ नागलतामण्डपक] रा० १८४. जी० ३।२६६ जागलयामंवय नागलतामण्डपक रा० १८५ णाङग नाटक] रा० ६८५ जाण [ज्ञान ओ० ४६,५४,१५३,१६५,१६६, १८१,१८,१६५१११. रा० २६२,६८६,७३३, ७३६,७४६,७७१,८१४. जी० ३।१५२,४५७, जाणत्त नानात्व] जी० ११११६; ३।१६१,१६५, २१८ णाणविणय ज्ञानविनय ] ओ० ४० माणसंपण्ण ज्ञान:म्पन्न ओ० २५ णाणा [नाना] ओ० ५०,६३,७०. रा० १६,२०, ३२,३७,४०,१३०,१३३,१३५.१३६,१३५, १७५,१६०,२४५,८०४. जी० ३१७८,२६४, २६५.२८६ से २८८,३००,३०२,३०५, ३०६,३११,३२२,३७२,४३५,६५४,१०७१, गाइय [नादित ] औ० ६,६७. रा० १३,५६,५८. जी० ३१२७५,२८६,४५७,५५७ णाऊण ज्ञात्वा] ओ० २३ णाग नाग] ओ० ६६,१२०,१६२. रा०६६८, ७५२,७७१,७८६. जी० ३।३३५,५६६,७३३, ८८५,६४४,६४५,६४७ जागरगह नागग्रह] जी० ३१६२८ भागदंत नामदन्त) रा० १३२,२४०. जी० ३।३०२,३१७,४०२ जागवंतग नागदन्तक] जी० ३।३०२,३१७,३२६, णाणावरणिज्ज जानावरणीय ] ओ० ४४ जाणाविह नानाविध] ओ०६ से ८,१०,४६,५५, १०७,१३०. रा० २४,३२,१२८,१३३,१५१, १५२,१७१,२८१. जी० ३।२७५,२७७,३०३, ३२४,३२५.३५३.४४७ जाणि | जानिन् | जी० ११८७,६६,११६,१३३, १३६, ३३१०४,१५२,११०७,११०८६।३०, णागदंतय नागदन्तक रा० १३२,१५३,२३५, २३६. जी० ३।३०२,३२६,३५५ णागदीव नागट्टीप] जी० ३१९४४,६४५ णातिय नादित रा० २६१ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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