Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 409
________________ ७१६ मुयंग [ मृदङ्ग ] जी० ३७८ मुयंत [ मुञ्चत् ] ओ० ७,८,१०. ० ३ २७६ मुरंडी' [ मुरण्डी] रा० ८०४ मुरय [ मुरज ] ओ० ६७. १० १३७७,६५७ मुरव [ मुरज ] जी० ३७८, ४४६ मुरवि [ दे० ] ० १०८,१३१. रा० २८५ मुसंढी | दे० ] जी० ११७३ मुसल [ मुसल ] ओ० १६. जी० ३१११०, ५६६ मुसावाय [ मृषावाद] ओ० ७१,७६ ७७,११७, १२१,१६१,१६३. रा० ६६३, ७१७,७६६ मुसावायवेरमण [ मृषावादविरमण ] ओ० ७१ मुसुंढि [ दे० ] ओ० १. जी० ३।११० मुहमंगलिय [ मुखमाङ्गलिक] ओ० ६८ मंडव | सुखमण्डप ] रा० २११ से २१५,२६५ से २६६.३२६ से ३३०,३३३ से ३३७. जी० ३३७४ से ३७६,४१२, ४२१, ४६० से ४६४, ४६१ से ४६५, ४६६ से ५०२,८८७ से ८८ मुहमूल | मुखमूल | जी० ३।१२३, ७२६ मुहुत्त | मुहूर्त्त ] ० २८, १४५. रा० ७५३,८०५ मुहत्तंतर [ मुहूर्त्तान्तिर ] रा० ७६५ मुहत्ताग [ मुहूर्त्त ] रा० ७५१,७५३ मूढ | मुढ | रा० ७३२,७३७,७६५ मूढतराय | मुहतरक | रा० ७६५ मूल | मूल ] ओ० ९४,१३५. रा० १२७, २०४, २०५, २०६,२२८. जी० १।७१, ७२ ३ २६१, ३५२,३६४,३७२, ३८७, ६३२,६४३,६५४, ६६१,६७२,६७८, ६७६, ६८६, ७२३, ७२६, ७३६,७६२,८३६,८७८,८८२,१००७ मूलमंत | मूलवत् | ओ० ५८, १० जी० ३१२७४, ३८६,५८१ मूलय | मूलक | जी० ११७३ मूलारिह | मुलार्ह ] ओ० ३६ मूलाहार | मूलाहार ] ओ० ६४ मूसग [ मूषक | जी० ३८४ १. मरुण्डी] [ ओ० ७०] Jain Education International मुयंग- मोयम मुसिया | मुषिका ] जी० शह मेहणी [मेदिनी | जी० ३१५६७ मुह | मेषमुख | जी० ३१२१६ मेघ | मेव | रा० १३, १४ मेदि | मेढी' रा० ६७५ मेदिभूय | मेढीभूत | रा० ६७५ त्त [ मात्र | ओ० ३३, १२२. रा० ६, १२,४०, २०५ से २०८, २२५, २७६ मत्तय | मात्रक ! जी० ३०४४० hura [ मेधाविन् | रा० १२,७५८, ७५६ मेरग | मेरक | जी० ३।५८६ मेर [क] जी० ३१८६० मेरु | मे | जी० ३१८३८।१०, ११ मेरुयालवण | मेस्तालवन | जी० २५०१ मेलिय [मेलित ] जी० ३:५६२ मेहमुह | मेवमुख ] जी० ३१२१६ मेहला | मेखला ] जी० ३.५६३ मेहस्सर [ मेघस्वर ] रा० १३५. जी० ३।३०५ महावि | मेधाविन् ] ओ० ६३. जी० ३।११८ मेण | मैथुन ] ओ० ७१,७६,७७,११७,१२१, १६१,१६३ वत्तिय [ मैथुनप्रत्यय ] जी० ३११०२५ वेरमण | मैथुनविरमण ] ओ० ७१ graण्णा [ मैथुनसंज्ञा ] जी० १२० : ३०१२८ मक्ख | मोक्ष ] ओ० ७१, १२०, १६२ मोग्गर [ मुद्गर ] जी० ३३११० मोग्रम् [ मुद्गरगुल्म ] जी० ३।५८० भोणचरय [ मौनचरक ] ओ० ३४ मोत्तिय [ मौक्तिक ] ओ० २३. रा० ६६५. जी० ३१६०८ मोय [ मुच् ] मोएति. रा० ७३१ मोयग [ मोचक | ओ० २१,५४. ० ८,२६२. जी० ३।४५६ १. आप्टे, पृष्ठ १२८६-- मेठिः, मेढी, मेथि: । For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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