Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati
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लव-लेसा
७२३ लव लव] ओ० २८. जी० ३१८४१
जी० ३१६१६ लवइय | दे० लवकिन] ओ० ५,८,१०. रा० १४५. लासिया [ल्हामिका | ओ० ७०. रा०८०४ जी० ३।२६८,२७४
लिंद लिन्द्र] जी० ३१७२१ लवंग | लवङ्ग रा० २६,३०. जी. ३ २८२ लिंब | लिम्ब] रा० ३७ लवण लवण जी० ३।२१७,२१६ से २२७,३००, लिक्खा [लिक्षा] जी० ३१६२४,७८८
५६६,५६८,५६६.५७१, से ५७६,७०४ से लिच्च [लिच्च जी० ३।३११ ७०८,७१०,७११,७१३ से ७२३,७२६,७२८ से लित्त लिप्त रा० १२३,७५५,७७२ ७३१,७३३,७३६,७३६ से ७४१,७४५,७४७, लिप्पासण लिप्यासन | रा० २७०. जी० ३१४३५ ७५०,७५४,७६१,७६२,७६५ से ७६६,७७५, लोला लीला] रा० १७.१८,१३०,१३३. ७८१ से ७८६,७०८ से ७६६.८३८/२४,६५१, जी० ३१३००,३०३
लुक्ख रूक्ष] जी० १६५,३६,४०,५०, ३१२२ लवणगलवणक) जी० ३७१०
तुद्धग | लुब्धक } रा० ७७४ लवणतोय लवणतोय] जो० ३१८३८।२३ लिय [0] लुज्जइ. रा० ७८४ लवणसिहा [ लवणशिखा जी० ३१७३२ लूसणया [लूपण } ओ० १०३,१२६ लवणाहिवइ (लवणाधिपति ] जी० ३१७२१,७५४, लूसमाण { लूषत् ] रा० १३३
लूसेमाण [लूषत् | जी. ३३०३ लवणोदय [ लवणोदक जी० ११६५
लूह रूक्षय्, मृज्—लू हेति. रा० २८५. लवय लवक] जी० ३१३८८
जी० ३४५१ लहू लघु | जी० ३.२२
लूहाहार [रूक्षाहार। मो० ३४ लहुय [लघुक | ओ० ४६. जी० ११५; ३१८७८
लूहिय रूक्षित] औ० ६३ लहुयत्त लघुकत्व स० ७६२,७६३
लूहेत्ता / रूक्षयित्वा] रा० २५५. जी० ३१४५१ लाइय (दे० ओ० २,५५. रा० ३२.२८१.
लेक्ख लख्य रा० २७०. जी० ३१४३५ जी० ३३७२,४४७
लेच्छइ लिच्छवि, लेच्छवि ०५२. रा० ६८७. लाधव | लाघव ] ओ० २५. रा० ६८६,८१४
६५८ लाघवसंपण्ण लाघवराम्पन्न | ओ० २५. रा० ६८६ लेच्छईपुत्त । लिच्छविपुत्र, लेच्छविपुत्र ] ओ० ५२. लाभत्थिय लाभार्थिक ओ६८
रा० ६८७,६८८ लाला लाला ० १३५,२८५. जी० ३३०५,
लेच्छतिपुत्त लिच्छविपुत्र,लच्छविपुत्र जी० ३.११७
लेढ़ लेष्टु] आ० २६ लावणग लावणिक जी० ३१७६६ से ७६६
लेण ! लयन प्रो० १४६,१५०. रा० ८१०,८११. लावणिग लावणिक जी० ३।२८।२४
जी० ३१५६४ लावण्ण लावण्य] अरे० १५,२३. रा० ६६,७०. जी० ३१५६७
लेस लेश्या] रा० ७७१ कलास [लासम् ]- -लाति. रा. २८१. लेसणया (लेशन ] ओ० १०३,१२६ जी० ३३४४७
लेसा लेश्या ओ० ४७,७२,११६ जी० १११४ लासग लाराक ओ० १,२
२१,५६,८६,६६,१०१,१२८, ३१६८,९६, लासगपेच्छा [लासकप्रेक्षा] ओ० १०२,१२५. १२७.४,१२८,१५०,८४१९६६
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