Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 403
________________ ७१० महज्जुतीय-महापउमरुवख महज्जुतीय [महायुतिक ] जी० ३।४६,३५०, महण [मथन] जी० ३३५६२ महता महत्] जी० ३१३०१,३०२,३२१ से ३२३ महति [महती| ओ०७१,७६. रा०५२,५६,६१, ६६३,६६४,७१७,७७६,७८७. जी. ३२१२, ११७,११३० महती महती। जी० ३१५८८ महत्तर महतर ओ० ७० महत्तरगत महत्तरकत्व ] ओ० ६८. रा० २८२. जी० ३३३५०,५६३,६३७ महत्थ महार्थ] रा० २७८,२७६,६८०,६८१, ६८३,६८४,६९६,७००,७०२,७०८,७०६. जी०३१४४४,४४५ महद्धण [महाधन] ओ० १०५,१०६,१२८,१२६ महप्पभ [महाप्रभ] जी० ३।९८५ महम्फल [महाफल ओ० ५२. रा०६८७ महब्बल [महाबल] ओ० ४७,७१,७२,१७०. ०६१,६६६. जी० ३१५६५ महन्भूय [महाभूत] रा० ७५१ मयर [महत्तर रा० ८०४ महया मत् | रा०७,१३१,१३२,१४७ से १५१, १६७,२८० से २८३,६५७,६७१,६७६,६८३, ६८७ मे ६८६.६६२,७००,७१२,७१६,७३२, ७३७,७५५.८०३,८०५. जी. ३१३२४,३५०, ४४७,५६३,८४२,८४५,१०२५ महरिह [महाह] ओ० ६३. रा० ६६,७०,२७८, २७६,६८०,६८१,६८३,६८४,६६६,७००, ७०२,७०८,७०६. जी० ३१४०४४४५, ५८६ महल्ल मिहत्) औ० ४६ महल्लिया [ महती ] ओ० २४ महआसवतर महानवतर] जी० ३।१२६ महाउस्सासतराय [महोच्छ्वासतरक] रा०७७२ महाकदिय [महाऋन्दित ओ० ४६ महाकम्मतर [महाकर्मतर] जी० ३॥ १२६ महाकम्मतराय [महाकर्मतरक] रा० ७७२ महाकाय [महाकाय] ओ० ४६ महाकाल [महाकाल ] जी० ३११२,११७,२५२, ७२४ महाकिरियतर महाक्रियतर] जी० ३।१२६ महाकिरियतराय [महाक्रिपतरक] रा० ७७२ महागुम्मिय महागुल्मिक ] जी० ३११७१ महाघोस ] महाघोष ] जी० ३।२५० महाजस [महायश- ] ओ० १७० महाजाइगुम्म महाजातिगुल्म] जी० ३१५८० महाजुद्ध [महामु जी ० ३।६२७ महाणई महानदी ओ० ११७. रा० २७६. जी० ३।४४५,६३६, महाणगर महानगर] जी० २११४० महाणदी [महानदी रा० २७६. जी० ३।३००, ५६८,६३२,६६८,७४६,८००,८१४,६३७ महाणरग [महानरक] जी० ३११२,११७ महाणिरय [महानरक] जी० ३७७ महाणील [महानील ] ओ० ४७ महाणुभाग महानुभाग] आ० ४७,७२,१७०. रा० १८६,६६६. जी. ३३८६,९८८ से १६७, १११६ महाणुभाव [महानुभाब जी० ३.३५०,७२१ महातराय महत्तरक] रा० ७७२ महातव [महातपस् ] ओ० ८२ महापायइरुक्ख [महाजातकीरूक्ष जी० ३१८०८ महानई महानदी] ० ११५,११७. रा० २७६ महानीसासतराय [महानिःश्वासत रक] रा० ७७२ महानोहारतराय [ महानीहारत रक] रा० ७७२ महापउम महापम रा० २७६ महापउभद्दह महाप मद्रह] जी० ३१४४५ महापउमरुख ! महापद्मरूक्ष जी. ३१८२६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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