Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 401
________________ मणोगुलिया-मल ७३२,७३७,७३८,७४६,७६८,७७७,७६१, ७२३,३७४,७६६.जी०३१४४२,४४५,४४८, ७९३. जी० ३।४४१,४४२ ४५७,५५५ मणोगुलिया [मनोलिका ] रा० १५३,२३५, मद [मद] गी० ३१८६० २५८,२७६. जी० ३१३०६,३५५,३६,६०२ मद्दण मर्दन | ओ० १६१,१६३ मणोजगुम्म [मनोज गुल्म] जी० ३१५८० मद्दय मर्दक | जी० ३१५८६ मणोणुकूल [मनोनुकून जी० ३१५६४ मद्दल | मर्दल | रा० ७७ मणोमाणसिय [मनोमानसिक रा०८९५ मद्दव [ मार्दव ! ओ० २५,४३. ६० ६८६,८१४. मणोरम [ मनोरम | जी० ३.६३४ जी० ३१५६८,७६५.८४१ मणोरमा | मनोरमा जी० ३१६२० भधु [मधु जी० ३.८६० मणोरह | मनोरथ ] ओ० ६६ मधुर मधुर जी० ३१२८५ मणोसिलक | मनःशिलक! जी० ७४५ ममत्तभाव | ममत्वभाव जी० ३.६०८ मणोसिलग मनःशिलक| जी० ७४५ मम्भ मर्मन् ] रा० ७६३ मणोसिलय | मनःशिल की जी० ७३४,७४६ मय [मृत] रा० ७६२. जी०१४ मणोसिला मनःशिवारा० १६१,२५८,२७६. मयणसाला दे० ० ६. जी० ३३२७५ जी०३:३३४,४१६,७४७ मयणिज्जमदनीय औ० १३. श्री० ३.६०२, मणोसिलाइढवी मनःशिलापृथ्वी जी० ३.१८५. ६०,८६६,८७२,८७८ १८६ मयपइया मृतपत्रिका | ओ० ६२ मणोहर मनोहर रा० ७६,१७३. जी० ३।२६५, मयर [मकर] ओ० ४८ २८५ भयरंडापविभत्ति | मकाण्डक पविभक्ति रा०६४ मति | मति | जी० ३.११८,११६ मिर म---मरंलि. जी ०१:५३ मतिअण्णाणि मत्यज्ञानिन | जी० ३.१०४,११०७. भरगय मरकत अं० १३ ६।१६७,२०२ भरण | मरण | ओ० २५,४६,७४,१७२ १६१८, मत्त । अम जी० ३.११२८,१५३० १२ रा०६८६ मत्त गो० १,६,२६,५७,६८. १० १४८, ___ भरीइ मावि जी० ३:११२२ २८८. जी. ३।११८,११६,२७५,३२१,४५४ ।। मरोइया । मरीचिका] रा० २१,२३,२४,३२,६४, ३६,१२४.१४५ मत्तंगय | मत्ता क जी. ३.५८६ मरीचिया मरीचिका ओ० १६४ मत्तगयर्यावलंबियम जविलम्बित रा०६१ मरीतिकक्ष्य मीचिकवच १० ३२ मत्तगयविलसिय मिजावलसि०६१ भरुंडोम ० ७० मत्तहविलंदिय । मलहविलम्वित । रा०६१ मरुपक्खंदोलग [मरुपक्षान्दोलक | ओ०६० मत्तहयविलसित | मत यविलहित रा०६१ मरुपडियग [मरुपतितक | ओ०६० मत्थगसूल [मस्तकल जी० ३१६२८ मरुया | मख्यक,मरुत्तक | M०३०. जी० ३२८३ मत्थय । मस्तक | ओ० २०,२१,५३,५४,५६,६२, मल | मल| ओ० ८६,६२. जी० ३५६८ ११७. रा ८,१०,१२,१४,१८,४६,७२,७४, मिल मृद्-मलः ज्जइ. रा० ७८५ ११८,२७६,२७६२८२,२६२,६५५,६८१, ६८३,६८६,७०७,७०८,७१०,७१३,७१४, १. मुरंडी (रा० ८०४) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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