Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 353
________________ भारग-नगरगुण धारग [धारक] ओ०६७ धारणा [धारणा ] रा० ७४०,७४१ धारि [धारिन् ] ओ० ४७,५१,७२. जी. ३.५६७, १०१५ धारिणी धिारिणी] ओ०१५. रा०५ धारित्तए [धारयितुम् ] ओ० १०५ धारेमाण [धारयत्] रा०२५५. जी०३४१६ धिइ धृति ] ओ० ४६ जी० ३१११८ घिति [धृति] जी० ३।११८,११६ धीर धीर] ओ० ४६ धुरा [धूर्] ओ० ६४ धुराग [धूपक] रा० १७३,६८१. जी० ३।२८५ ।। धुव ध्रुव] रा० २००. जी० ३४५६,२७२,३५०, ७६० धूमकेतु [धूमकेतु] ओ० ५० धूमप्पभा [धूमप्रभा] जी ०३४१,४३,४४,१०१, ११०,११४ धूमवट्टि [धूपवर्ति ] जी० ३।४५७ धूमिया [धूमिका] जी० ३१६२६ धूया [दुहित] जी० ३१६११ धूलि [धूलि] जी० ३।६२३ धूव [धूप] ओ० २,५५. रा०६,१२,३२,१३२, । २३६,२५८,२७६,२८१,२६०,२६२ से २६७, ३००,३०५,३१२,३५१,३५५,३५६. जी० ३:३०२,३७२,३६८,४१६,४४५,४४८,४५६ से ४६२,४६५,४७०,४७७,५१६,५२०,५५४, ६७६,६०८ धूवघडिया [धूपटिका] रा० २३६. जी०३।३९८, ४१२,६०३ धूवघडी धूपघटी] रा० १३२. ३१३०२ धूववट्टी [धूपवति रा० २६२ षोत [धौत] जी० ३.५९६ घोय [धौत] ओ० १६,४७. २६० २६. जी० ३२८२,५६० न (न] ओ० ४७. रा० २००. जी ० ३।२७२ नई | नदी] ओ०६६. जी० ३.७७५ नईमह [नदीमह] ग० ६८८ नउल [नकुल ] रा० ७७ नंगलिय [लाङ्गलिक | ओ०६८ नंदणवण [ नन्दनवन ] रा० १७३,६७०. जी० ३२८५,५६७ नंदा न्दका ना० २८२. जी० ३।४४८ नंदा | नन्दा रा०२३३,२७३,२८८,३१२,३५०, ६५६. जी ३५५६ नंदाचंपापविभत्ति निन्दाचम्बाप्रविभक्ति। रा०६३ नंदापविभत्ति नन्दाप्रविभक्ति] रा०६३ नंदिघोस [नन्दिघोष | रा० ७७,१७३,६८१. जी० ३३५६८ नंदिमुयंग [नन्दिमृदङ्ग [ जी ३१७८ नंदियावत्त [नन्द्यावर्त | ओ० १२. रा० २६१ नंदिरुक्ख [नन्दिरूक्ष] जी० ३.३८८ से ३६० नंदिस्सर निन्दिस्वर] जी० ३१५६८ नंदी [नन्दी] २०७४ १,७४३ नंदीमुइंग | नन्दीमृदङ्ग रा०७७ नंदीमुह [नन्दी मुख जी० ३१२७५ नंदीसरवर नन्दीश्वरवर ] रा०५६ नक्कछिण्णग [न ऋछिन्नक] ओ० ६० नक्ख निख] २५४ मक्खत्त नक्षत्र रा० १२४. जी २:१८ ; ३१७०३, ७२२,८३०,८३८१३,५,८,११,१३,२२,३०, १००७ नवखत्तविमाण [नक्षत्रविमान] जी० २।४३; ३।१००६ नखवेदणा नरवेदना] जी० ३।६२८ नग नग] जी० ३१५६६ नगर [नगर] ओ० १८. रा० ६६७,७५४,७५६ ७६२,७६४,७७४. जी० ३१५९६ नगरगुण ! नगरगुण] ओ० १६५।१६ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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