Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 392
________________ अंतसंभंत-मति से ३६,४२,४४ से ६६,७३ से ६८, १०३ से ११०, ११२, ११६, ११८ से १२८, १४७,१५० से १६२.१६५,१६७,१६६ मे १८३.१८५,१८६, १६२ से २११,२१४,२१७ से २२३,२२७, २३२ से २४२, २४४ से २४६,२४५ से २५६, २६ से २७२,२६३ से २८५, २६६,३००, ३५०,३५१,५६४ से ५७८, ५०६, ५६३, ५६६ से ६३२,६३७ से ६३९, ६५६, ६६०, ६६४,६६६ से ६६८,७००,३०१,७०३, ३०५ से ७११, ७१३ से ७२३,७३० से ७३६,३३८,७४० से ७४३,७४५,७४६.७४५ से ७५०,७५४,७६० से ७६६,७६८ से ७७०,७७२,७७६ से ७७८, ७८१ से ३६५,७६७ से ८००,८०० से ०४, ८०८०६,८११ से ८१६,८१ से ८२०, ८२३ से ८२५,८२७,८२६,८३०, ८३२ से ८३७,८३६८४०, ८४२ से ४७,८४६,८५०, ८५४,८५५,८५७,८६०,८६३,८६६,८६६, ८७२८७५८७८ से ५८१,६३६, ६४०, ६४४, ६५३ से ६५५,६५८, ६६१,६६३ से ६६६, ६६६,६७२ से ६७७,६८२ से ६८४८८ से १००८, १०१०, १०१५, १०१७,१०२० से १०२७,१०३७ से १०४४, १०५४,१०५६, १०५६, १०६२,१०६३, १०६७,१०६६, १०७१, १०७३,१०७५,१०७७ से १०८३, १०८५, १०८७,१०८९ से १०६३, १०६५, १०६७ से १०९६,११०१,११०५,११०७,११०६ से १११२, १११४,१११५, १११७,१११६, ११२१, ११२२, ११२४,११२८, ११३०,११३१,११३३ से १९३८ : ४३,७ से ११,१३,१६,२२,२३, २५, ५५, ८, १०, १२ से १६, १६ से २४,२६ से ३०,३२ से ३५,३७ से ३६, ४१ से ५०, ५२ से ५६.५८ से ६०, ६, ७.२,६,२०, ६१२, 3, १० से १४,१६,२३ ३ २६.३१,३३,३६,४१ से ४८,५२,५५, ५७ से ५६,६४, ६, ७६ से ७६, ८६, ६०, ६६,६७,१०२, १०३, ११४, ११५, Jain Education International ६६६ १२२,१३२,१४२,१६० से १६३.१७१,१८६ से १६३, १६५,१६८ से २०३,२१० से २१२, २१४ से २१६, २२२ से २२५, २२७ से २३०, २३३ से २३८,२४० से २४४, २४६, २४० से २५३,२५५,२५७ से २६३, २६५,२३८ से २७३,२७५ से २०२२८४ से २९३ भंत संभंत | भ्रान्तमंत्रान्त ] रा० १११,२८१. जी० ३।४४७ भंभा (दे० सम्भा | रा० ७७. जी० ३५८ सेकामशकिाम ] रा० ७३७ भगवल [भगन्दर ] जी० ३१६२८ भगव [ भगवत् ] ओ० १६, १७,१६ से २५, २७४७ से ५५,६२.६६ से ११,७५ से ८३,११७. ०८ से १३,१५,५६,५८ से ६५,६८,०३, ३४, ७६, ८१, ८३, ११३, ११८, १२०, १२१,६६८, ७१४,७६६.८१४,८१५,८१७ भगवई [ भगवती ] रा० ८१७ भगवंत [ भगवत् ] ओ० १६,२१,२३, २६ से ३०, ५१,५२,५४.११७,१५२,१६५,१६५. ०८, ६,११,५६,२६२,६८७,७१४,७४६, ७६६. जी० १११ ; ३१४५७ भगवती [ भगवती ] रा० ८१७ भगइ | भग्नजित् ] ओ०६ भज्जा [ भार्या ] जी० ३,६११ भट्टित्त [ भर्तृत्व] ओ० ६८. रा० २८२. जी० ३।३५०, ५६३,६३७ भट्ट |रा० ६, १२, २०१. जी० ३१४४३ भड | भट ] ० १.२३, ५२.१० ५३,६६३,६८७, ६८८,६६२,७१६ भणित [ भणित ] जी० ३१८८१ भय [ भणित] ओ० १५, ४६, १६५३४ से ७. रा० ७०,६७२,८०६,८१०. जी० २ १५० ; ३११२६,५६७, ८३८।१,२; ६।१५७ भण्ण [ भण् ] -- भण्णंति. जी० ३१६४६ भति [भति ] ओ० १७ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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