Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 298
________________ कौट्टण-कोह कोट्टण [ कुट्टन ] ओ० १६१,१६३ कोट्टिज्माण [ कुद्र्यमान ] रा० ३० कोट्टिमतल ( कुट्टिमतल ] रा० १३०,१७३,८०४. जी० ३१२८५,३०० कोट्टिय [कुट्टयित्वा ] जी० ३।११८, ११६ कोट्टेज्जमाण [ कुट्टधमान ] जी० ३१२०३ कोट्ठ [कोष्ठ ] रा० ३०,१६१,२५८,२७६. जी० ३१२३४, २८३, ४१६,६३७,१०७८ star [ कोष्ठक ] रा० ७११. जी० ३१५६४ nigefa [ hiroefa ] ओ० २४ कोga [ कोष्ठक ] रा० ६७८,६८६,६८७,६८६, ६६२,७००,७०६ कोट्ठागार [ कोष्ठागार ] ओ० १४,२३. रा० ६७१,६६५, ७८७,७८८,७६०, ७६१ कोद्वार [कोष्ठागार ] रा० ६७४ कोडकोडी [कोट कोटी ] जी० ३१७०३, ७२२,८०६, ८२०,८३०,८३४,८३७,८३८३३१,८५५, १००० nistratfs | कोटाकोटि ] ओ० १६२. रा० १२४ कोडाकोडी | कोटाकोटी] जी० २२७३,६७, १३६; ३७०३, ५०६, १०३८; ५२६ कोडि | कोटि ] ओ० १,१६२. रा० १२४ कोडिकोडी | कोटिकोटी ] जी० ३१००० कोडी | कोटी ] रा० ६६४. जी० ३१२३२,५६२, ५७७,६५८, ८२३,८३२,८३५,८३६, १०३८ कोडीय [ कोटीक ] रा० २३६. जी० ३१४०१ फोडुंब [ कौटुम्ब ] जी० ३।२३६ कोडुंब [ कौटुम्बिन् | जी० ३४१२६ डुंबिय | कौटुम्बिक ] ओ० १,१८,५२,६३. रा० ६८१ से ६-३, ६८७.६८८,६६०,६६१, ७०४,७०६,७१४ से ७१६,७५४,७५६, ७६२, ७६४. जी० ३।६०६ कोण | दे०कोण ] रा० १५३. जी० ३१२८५ कोणिय ] कोणिक ] आं० १५, १६,१८,२०,६२ कोत्तिय | कोत्रिक ] ओ० ६४ कोद्दालक [ कुद्दालक ] जी० ३१५८२ Jain Education International कोमल [ कोमल ] ओ० ५,८,१६,२२,६३ रा० ७२३,७७७,७७८,७८८. जी० ३।२७४, ५६६,५६७ कोई [ कौमुदी ] ओ० १५. ० ६७२. जी० ३१५६७ ६०५ कोयासिय [ विकसित' ] ओ० १६ कोरंट [कोरण्ट ] ओ० ६३,६४. रा० ५१,२५५ कोरंटक [ कोरण्टक ] रा० २८. जी० ३१२५१ कोरंयगुम्म [कोरण्टक गुल्म ] जी० ३२५८० कोरक [ कोरक ] जी० ३१२७५ कोरव्a [ कौरव्य ] ओ० २३. रा० ६८८. जी० ३।११७ कोरव्यपरिसा [ कौरव्यपरिषद् ] रा० ६१. कोरिल्लय [ दे० ] रा० ७५६ कोरेंट [कोरण्ट ] ओ० ६५. रा० ६८३,६६२, ७००,७१६. जी० ३१४१६ कालसुण [कोलशुनक ] जी० ३१६२० कोलाहल [कोलाहल ] ओ० ४६ कोव [कोप ] जी० ३११२८ कोस [क्रोश ] १४,२३,१७० रा० १५८,२०७, २०८, २३१,२४७,६७१, ६७४, ६६५, ७६०, ७६१. जी० ३।४३,४४,८२,२६०,३५२ से ३५५, ३५०, ३६१,३६४३६८, ३६६, ३७२,३७४, ३६३३६५, ४०१,४०२, ४१२, ४२५, ६३४, ६४२,६४४,६४६,६५३, ६५५,६६३, ६६८, ६७३,६७४,६७६, ६८३,६८५, ६६१, ७१४, ७३६,७५४,७५६,७६२,७६८ से ७७०, ७७२, ८०२,८१५,८३६,१०१२ से १०१४ कोसंब [कोशात्र ] जी० १/७१ कोसंब पल्लवविभत्ति [कोशाम्रपल्लवप्रविभक्ति ] रा० १०० कोसेज्ज [ कौशेय ] ओ० १३. जी० ३।५६५ कोह [ क्रोध ] ओ० २८,३७,४४,७१,६१,११७, ११६,१६१, १६३,१६८. २१० ७९६. जी० ३११२८, ५६८,७६५,८४१ १. हे० ४१६५ For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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