Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 323
________________ ६३० जियभय-जुत्तपालित जियभय [जितभय] 1० ८१७ जियमाण [जितमान ] ओ० २५. रा० ६८६ जियमाय [जितमाय ] ओ० २५. रा०६८६ जियलोभ {जितलोभ ] ओ० २५ जियलोह [जितलोभ] रा० ६८६ जियसत्तु [जितशत्रु] रा० ६७६,६८०,६८३ से ६८५,६६८ से ७००,७०२ जीमूत [जीमूत] जी० ३१२७८ जीमूतय [जीमूतक] रा०२५ जीय [जीत] ओ० ५२. रा० ११,१६,५६,६८७, जीवपएसिय जीवप्रदेशिक ओ० १६० जीवा [जीवा] रा० ७५६. जी० ३६५७७,६३१ बोधाजीवाभिगम [ जीवाजीवाभिगम] जी १:१,२ जीवाभिगम [जीवाभिगम] जी० ११२,६ से १०; ६७,८,२६३ जोविय [जीवित ] ओ० २३,२५. रा० ६८६,७५० से ७५३,७५६,७६२,७६७ जीविया [जीविका ओ०१४७. रा० ७१४,७७६, जीव [जीव] ओ० २७,७१ से ७३,७४।४,५,८४ से ८६,१२०,१३७,१३८,१६२,१८५ से १८८. रा० ६६८,७१६,७४८ से ७६४,७६८,७७० से ७७३,७८६,८१३,८१५. जी० ११०,११, १५ से ३३,५१ से ५४,५६,५६ से ६२,६४, ७४,७६,८२,८५ से ८७,६०,६३ से ६६,१०१, ११६,१२८,१३० से १३४,१४३,२।१,१५१ ३११,५३,५४,८७,११८,१२६,१२७,१२७७२, ५,१२६५,९,१५० से १६०,१८३,१६२,२१०, २११,५७५,५७६,७१६,७२०,७२४.७२७, ७८७,८०६,८१८,८२८,८५३,८५६,८५०, ६४६,९७४,६७५,१०८१,११२८,११३०, ११३८, ४११,२५, ५॥१,६०, ६।१,१२,७१, २३:८1१,५,६।१७ से ८,१५,१८,२१,२२, २८ से ३०,३६,३८,५६,६२,६३,६६,६७, ७५,८८,६५,१०१,१०६,११२,११३,१२१, १३१,१४१,१४७,१४८,१५६,१५८,१५६, १६७,१७०,१८१,१८२,१८५,१६६,१६७, २०८,२०६,२२०,२२१,२३२,२५५,२५६, २६७,२६३ जीवजीवग जीवंजीवक] ओ० ६. जी० ३१२७५ जीवंत [जीवत् ] रा० ७५४,७६२,७६३ जीवंतग [ जीवत्क] रा० ७६२ जीवघण [ जीवधन] ओ.० १८३,१८४,१६५।११ जीवदय [जीवदय] ओ० १६,२१,५४, रा०८ जीबोवलंभ [जीवोपलम्भ] रा० ७६८ बोहा जिह्वा] ओ० १६,४७. रा० २५४. जी. ३४१५,५९६,५६७ ह [द्युति] ओ० ४७,७२,८६ से ६५,११४, ११७,१५५,१५७ से १६०,१६२,१६७. रा० १३,६५७ जुज [युज्}-जुजइ. ओ० १७५ झुंजमाण [युजान ] ओ० १७६,१७८ से १८० जुग युग] ओ० १६. जी० ३।५९६,८४१ जुगल [बुगल] रा०२३. जी. ३१५६७ जगव [युगपत् ] ओ०१८२ जगव युगवत् रा० १२,७५८,७५६. जी० ३३११८,११६ अग्य [सुग्य] ओ०१,७,८,१०,१००,१२३. जी० ३।२७६,५८१,५८५,६१७ जुझसज्ज [ युद्ध सज्ज ] रा० १७३,६८१ जुण्ण [जीणं ] रा० ७६०,७६१,७८२ जुण्णय [जीर्णक] रा० ७६१ जुति [द्युति] रा० १३,१२१,६५७. जी० ३.४४६, ४५७ जुत्त [युक्त ] हे० १५,१६,२३,५५,५७,५८,६२, ७०,७१.० १७,१८,२०,३२,६१,७०, १२६,२८५,२६२,६६४,६७२,६८१,६५२, ६६०,६६१,७०६, ७१४,७२४,८०६,८१०. जी० ३१२८८,३००,३७२,४५१,४५७,५६२, ५८६,५६२,५६६,५६७,३८३२ जुत्तपालित [युक्तपालिक] जी० ३१५६२ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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