Book Title: Agam 13 Upang 02 Rajprashniya Sutra Raipaseniyam Terapanth
Author(s): Tulsi Acharya, Mahapragna Acharya
Publisher: Jain Vishva Bharati

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Page 319
________________ ६२६ जणवय-जल जणवय जनपद] ओ० १४६. रा०६६८,६६६, ६७१,६७६,६८३,७०६,७११,७१८,७५०, ७७४,७६०,७६१ जणवयकहा [जनपदकथा] ओ० १०४,१२७ जणवयपाल [जनपदपाल ] ओ० १४. रा० ६७१ जणवयपिय [जन पदप्रिय] ओ० १४. रा० ६७१ जणवयपुरोहिय [जनपदपुराहित | ओ० १४ रा०६७१ जणवाय | जनवाद] ओ० १४६. रा० ८०६ जणवूह [ जनव्यूह ! मो० ५२ रा० ६८७,७१२ जणसण्णिवाय [जनसन्निपात ] ओ० ५२. रा०६८७,७१२ जणसद्द [जनशब्द ] ओ० ५२. रा० ६८७,६८८, ७१२ जणिय [जनित] ओ० ५१ जणुक्कलिया [जनोत्कलिका] ओ० ५२ जम्मि [जनोमि ] ओ० ५२ जण्णइ याज्ञिक ! ओ०६४ जण्णु [जानु ] रा० १२ जति [यदि] रा० ७५० जतिपरिसा [यतिपरिषद् ] रा० ६१ जतो [यतस् | रा० ७५६ जत्ताभिमुह यात्राभिमुख ओ० ५५,५८,६२,७० जत्तिय [ यावत् ] जी० ३१७७,१२७ जत्थ [यत्र] रा० ७१६. जी० ११५८ जया (यथा] जी० ३६८ जन्न [यज्ञ] जी० ३१६१४ जन्नु [जानु] रा०६ जप्पभिइ | यत्प्रभृति रा० ७६०,७६१ जमहत्ता [दे० '] ओ० २६ जमग यमक जी० ३३६३२,६३३,६३५,६३७ से जमगवण [यमकवर्ण] जी० ३१६३७ जमगवण्णाभ [यमकवर्णाभ] जी० ३१६३७ जमगसमग [दे०] ओ०६७. रा० १३,६५७ जी० ३१४४६ जमगा [यमका] जी० ३१६३७ से ६३६ जमगागार [यमकाकार जी० ३१६३७ जमबग्गिपुत्त जमदग्निपुत्र] जी० ३३११७ जमल [यमल] ओ० १,५७. रा० १२,१७,१८,२०, ३२,१२६,१३३,७५८,७५६. जी० ३.११८,२२८,३००,३०३,३७२,५६७ जमलिय यमलित ओ० ५,८,१०. रा० १४५. जी० ३१२६८,२७४ जम्म | जन्मन् ] ओ० १८४ जम्मण जन्मन्] ओ० ४६. रा० ८०३. जी० २:३० से ३४,५७ से ६१,६६,११६, १२४,१३३ : ३।६१७ अम्हा [यस्मात्] रा० ७५० जय [जय] ओ० २०,५३,६२ से ६४,६८. रा० १२,४६,७२,११८,२७६,२७६,२८२, ६५५,६८३,६८६,७०७,७०८,७१३,७२३. जी० ३।४४२,४४५,४४८ जयंत [जयन्त ] ओ०१६२. जी० ३।१८१,२६४ ५६८,७०७,७१२,७६६,८१३,८१४,६४१ जयंती [जयन्ती] जी० ३।६१६,१०२६ जयणा [यतना] ओ० ४६ जया [ यदा] ओ० २१. रा० ७० ६. ३।७२६ जर [जरा] ओ० ४६,१७२ जर [ज्वर] जी० ३३११८,११६,६२८ जरद [जरठ] ओ० ५,८. जी० ३।२७४ जरा जरा] आं०७४,१६५,१६५।८,२१. रा० ७६०,७६१ जल जल ओ० १,२३,४६,६८,१११ से ११३, १२२,१३७,१३८,१५०. रा० १७४,८११. जी. ३।११८,११६,२८६,६४२,६५३,७५४, ७६२,७६८,७७०,७७२ जिस [ज्वल्] —जलंति. रा० २८१, जी० ३।४४७ जमगप्पमा [यमकप्रभा जी० ३१६३७ १. पुनरावर्तनेनातिपरिचितं कृत्वा (३०) । Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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