Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
View full book text
________________
[168]
स्थानों के चन्दन से श्रेष्ठ हो और सम्भव है उनकी यही श्रेष्ठता काव्य में उनके केवल मलयाचल में ही
निबन्धन का आधार बनी हो ।
भूर्जपत्रों का केवल हिमालय में ही वर्णन
चन्दन का केवल मलयाचल में ही वर्णन करने के समान ही कवियों की एक अन्य कवि परम्परा है भूर्जपत्रों का केवल हिमालय में ही वर्णन करने की । इस प्रकार के निबन्धन के कारण रूप में दो प्रकार की सम्भावनाएँ की जा सकती हैं। एकान्त होने के कारण प्राचीन काल में लेखन कार्य तपस्वी ऋषिगण हिमालय पर ही करते रहे होंगे । अतः भूर्जपत्रों का वहाँ आधिक्य से प्रयोग होता रहा होगा। इसके अतिरिक्त हिमालय पर भूर्जपत्रों का आधिक्य भी इस प्रकार के निबन्धन का कारण हो सकता है। कोकिल के स्वर का बसन्त में ही वर्णन :
मधुरभाषिणी कोकिल का स्वर बसन्त के साथ ही वर्षा तथा ग्रीष्म ऋतुओं में भी मुखरित होता है, किन्तु काव्यजगत् में कोकिल का स्वर केवल बसन्त ऋतु में ही वर्णित है। इस प्रकार के निबन्धन के दो सम्भावित कारण प्रस्तुत किए जा सकते हैं। प्रथम तो कोकिल के स्वर की मुखरता बसन्त से ही आरम्भ होती है। वर्ष में सर्वप्रथम होने वाले इस मधुर स्वर की नवीनता कवियों को अधिक आकर्षित करती रही होगी। इसके अतिरिक्त बसन्त में कोकिल की प्रिय वस्तु सहकारमञ्जरी की प्राप्ति भी कोकिल के मधुर स्वर के आरम्भ का कारण होती है। सहकार मज्जरी को पाकर प्रसन्नता के कारण मादक कोकिल स्वर कवियों को सौन्दर्य की दृष्टि से अधिक आकर्षक प्रतीत हुआ होगा । ग्रीष्म तथा वर्षा में सभी कोकिल का मधुर स्वर सुनने के अभ्यस्त हो जाते हैं । अतः बसन्त में नवीनता के कारण मधुर कोकिल स्वर में ध्यानाकर्षण की शक्ति का जितना आधिक्य होगा उतना ग्रीष्म तथा वर्षा के कोकिल स्वर में उसके मधुर होने पर भी निरन्तरता के कारण नहीं होगा। अतः कोकिल के स्वर की नवीनता तथा मादकता के आकर्षण के कारण कवियों ने उसका केवल बसन्त में ही वर्णन करने की परम्परा बना ली होगी।