Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University

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Page 285
________________ [278] चार समुद्र और सात समुद्र - इस प्रकार समुद्रों की संख्या भिन्न-भिन्न वर्णित है। किन्तु कवि के भिन्न अभिप्रायों के कारण आचार्य राजशेखर सभी का औचित्य स्वीकार करते हैं।। जम्बूद्वीप तथा उससे सम्बद्ध वर्ष पर्वत तथा देश : सब द्वीपों के मध्य में जम्बूद्वीप स्थित है। इस द्वीप में जम्बू का विशाल वृक्ष, जम्बू नाम का पर्वत और जम्बू नाम की नदी भी है। विष्णु पुराण के अनुसार इस द्वीप में उत्पन्न जम्बू वृक्ष ही इसके जम्बू द्वीप नाम का कारण है । यह जम्बूद्वीप लवण समुद्र से घिरा है। काव्यमीमांसा में जम्बूद्वीप के मध्य में पर्वतों के प्रथम राजा सुवर्णमय मेरु पर्वत का उल्लेख है। वह भगवान् सुमेरु प्रथम वर्ष पर्वत है। उसके चारों ओर इलावृत्त वर्ष है । विष्णुपुराण में जम्बूद्वीप के सात भेदों के अतिरिक्त दो अन्य वर्षों - भद्राश्व तथा केतुमाल - तथा उनके मध्य इलावृत्त वर्ष का उल्लेख है। जम्बूद्वीप के उत्तर में क्रमशः नील, श्वेत तथा शृंङ्गवान् नाम के तीन वर्ष पर्वत और रम्यक, हिरण्मय तथा उत्तरकुरु देश हैं ।। नीलगिरि का सम्बन्ध रम्यक वर्ष से है, श्वेतगिरि हिरण्मय वर्ष से सम्बद्ध है तथा श्रृङ्गवान् उत्तरकुरुवर्ष का वर्षपर्वत है। हिन्दी अभिनवभारती में संकलित भू-मण्डल विभाजन में रम्यक वर्ष वर्तमान सिवयांग 1. "लावणो रसमय: सुरोदकः सार्पिषो दधिजलः पयः पयाः। स्वादुवारिरुदधिश्च सप्तमस्तान्परीत्य त इमे व्यवस्थिताः॥" ---------------------- 'भिन्नाभिप्रायतया सर्वमुपपन्नम्' इति यायावरीयः। (काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय) 2. एकादशशतायामाः पादपाः गिरिकेतवः जम्बूद्वीपस्य सा जम्बूर्नामहेतुर्महामुने। 181 विष्णुपुराण, द्वितीय अंश, अ० - 2 3. मध्ये जम्बूद्वीपमाद्यो गिरीणां मेरुनाम्ना काञ्चनशैलराजः। ------------------------------------- स भगवान्मेरुरायो वर्षपर्वतः। तस्य चतुर्दिशमिलावृत्तं वर्षम्। (काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय) 4. "भद्राश्वं पूर्वतो मेरो: केतुमालं च पश्चिमे वर्षे द्वे तु मुनिश्रेष्ठ तयोर्मध्यमिलावृत्त।" विष्णुपुराण, द्वि०अ० (2/23) 5. तस्योत्तरेण त्रयो वर्षगिरयः, नीलः, श्वेत श्रृङ्गवांश्च रम्यकम्, हिरण्मयम्, उत्तराः, कुरवः इति च क्रमेण त्रीणितपांवर्षाणि। (काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय)

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