Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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करते हैं (6/13), आम के रस से पुंस्कोकिल तथा कमल के कारण गुञ्जायमान भ्रमर कामासक्त होते हैं (6/14), जड़ से लेकर मूंगे की लालिमा के समान ताम्रवर्ण पुष्पसमूह को धारण करते हुए नवपल्लवों से युक्त अशोकवृक्ष (6/16), उद्भिन्न कुरबक वृक्ष की मञ्जरियों की परम शोभा (6/18), पवन से आन्दोलित, पुष्पों से झुके पलाशवनों से व्याप्त यह पृथ्वी लाल वस्त्रों से आवेष्टित नववधू के समान है (6/19), बसन्त में हिमपात बन्द हो जाने से सुन्दर हवा पुष्पित (मञ्जरियों से युक्त) आम की डालियों को हिलाती हुई, कोयल की मधुर वाणी को दिशाओं में फैलाती हुई बहती है (6/22), कुन्द पुष्पों के कारण उपवन सुन्दर लगते हैं (6/23), यह बसन्त पुष्पित आम्रवृक्षों तथा कनैल के वृक्षों से रमणीय लगता है (6/27), सुन्दर पलाश जिसका धनुष है, भ्रमरों की पंक्ति ही प्रत्यञ्चा है, निष्कलङ्क चन्द्रमा श्वेत छत्र है, मलय पवन जिसका मदोन्मत्त हाथी है, कोकिल जिसके बन्दीगायक हैं, आम की सुन्दर मञ्जरी जिसके बाण हैं वही लोकविजयी कामदेव अपने मित्र बसन्त के साथ सर्वकल्याणकारी हो (6/28)-यह परमसुन्दर बसन्त वर्णन 'ऋतुसंहार' के षष्ठ सर्ग में महाकवि कालिदास द्वारा वर्णित है।
'काव्यमीमांसा' में वर्णित ग्रीष्म ऋतु
वृक्ष जगत् में परिवर्तन :
नवमल्लिका के पुष्पों का विकास। शिरीष कुसम खिलने लगते हैं। काञ्चन और केतकी में
पुष्पप्रसव। धाय के पुष्पों का विकास। खजूर, जामुन, कटहल, आम, केला, चिरौंजी, सुपारी और नारियल से स्त्री पुरुषों का श्रम और आलस्य दूर होता है। चम्पा पुष्पों का विकास होता है, इनकी मालाएँ धारण की जाती हैं। कनेर और करील के वृक्षों का विकास होता है। मल्लिका कुसुमों का विकास होता
है, इनकी गुलाबी माला धारण की जाती है।
पशुपक्षियों की गतिविधियाँ :
हरिण मरुभूमि में मृगमरीचिकाओं से ठगे जाते हैं। जल सूख जाने से तडागों के जलजन्तु तड़पते हए से दीखते हैं। हाथियों के बच्चे, शरभ और गदहे मदोन्मत्त और विकारी हो जाते हैं, कनेर और