Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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देश का सूक्ष्म विवेचन प्रस्तुत करते हुए आचार्य राजशेखर ने अन्ततः नवीन कवियों को संदेश दिया कि सभी प्रकार के वर्णनों का आधार शास्त्र, लोक व्यवहार तथा कविसमय अवश्य होना चाहिए। देश, पर्वत, नदी और दिशाओं का उनके क्रमानुसार ही अपनी रचनाओं में निबन्धन करना कवि के लिए उचित होगा। अन्यथा वर्णन उनके काव्य को दोषमय बना देगा।
1. तत्र देशपर्वतनद्यादीनां दिशां च यः क्रमस्तं तथैव निबधीयात्। साधारणं तूभयत्र लोकप्रसिद्धितश्च ।
(काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय)