Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University

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Page 314
________________ [307] उछलने वाली सुन्दर मछलियाँ, विस्तृत बालुकामय तट प्रान्त (3 / 3), श्वेत बादलों से युक्त आकाश (3/4), बन्धूक पुष्पों से लालिमायुक्त पृथ्वी (3/5), पुष्पित कोविदार (3/6), तारागण से सुशोभित, निर्मल चाँदनी वाली वृद्धि को प्राप्त होती हुई रात्रि (3/7), नयनानन्दकारी, मनोहर रश्मिवाला, शीतलता प्रदान करने वाला चन्द्रमा (3/9) शेफालिका पुष्पों की सुगन्धि से मनोहर उपवन (3/14), चंचल छोटी-छोटी लहरें (3/18), नीलकमलों का विकास (3/19) पुष्पों के सम्पर्क से सुगन्धित शीतल हवा, कलुषता रहित स्वच्छ जल, पङ्करहित पृथ्वी (3/22 ) – 'ऋतुसंहार' में वर्णित यह प्राकृतिक दृश्य शरद् ऋतु का मनोहारी स्वरूप उपस्थित करते हैं। 'काव्यमीमांसा' में वर्णित हेमन्त ऋतु वृक्षजगत् का परिवर्तन : मुचुकुन्द के वृक्षों में दो तीन कलियाँ, लवली के वृक्षों में तीन चार कलियाँ, तथा प्रियङ्गुलता में पाँच छह फूलों का उद्गम । नागकेसर तथा लोध्र में पुष्प प्रसव । गाँवों की सीमाओं में गेहूँ और जौ के लहलहाते खेत। खेतों में मटर, उरद, मूँग आदि छीमी वाले धान्य । हल्दी और नमक का पकना । बेर, नारंगी आदि फलों का पकना प्रारम्भ हो जाता है, उनमें मिठास उत्पन्न होती है। काले, मोटे उखों के रस में अद्भुत एवम् अपूर्व मधुरता का आविर्भाव हो जाता है। पशुपक्षियों की गतिविधियाँ : मयूर मदरहित हो जाते हैं। उनके पंख झड़ जाते हैं। उद्यानों में कोयलें मूक हो जाती हैं। भृङ्गरमणियों के मुख में भी मौनमुद्रा । आकाश यात्रा में पक्षियों का उत्साह क्षीण हो जाता है। सर्पों का भी दर्पक्षय हो जाता है । बाघिन बच्चों का प्रसव करती है। हेमन्त ऋतु के अन्य वैशिष्ट्य वायु हिमकणों को बिखेरकर शीत बढ़ाती है। कुछ भी पेयवस्तु और भोजन आकर्षक और हो जाता है। वायुकारक गरिष्ठ पदार्थ भी सुपच और स्वास्थ्यकारक होते हैं। वनशूकरों के माँस में स्वादु

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