Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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तथा एशियाई रूस का, हिरण्मय वर्ष मंगोलिया का और उत्तर कुरुवर्ष साइबेरिया के प्राचीन नाम हैं ।। अनेक स्थानों पर उत्तरकुरु की पहचान तिब्बत और पूर्वी तुर्किस्तान से भी की गई है। जम्बूद्वीप के दक्षिण में निषध, हेमकूट तथा हिमवान् नामक तीन वर्ष पर्वत वर्णित हैं। निषधवर्षपर्वत से हरिवर्ष सम्बद्ध है, हमकूट वर्षपर्वत से किंपुरुष वर्ष तथा हिमवान् वर्ष पर्वत से भारत वर्ष सम्बद्ध है।
भारतवर्ष :
'काव्यमीमांसा' में वर्णित जम्बूद्वीप के दक्षिण में हिमवान् वर्ष पर्वत से सम्बद्ध भारतवर्ष की स्थिति विष्णुपुराण भी हिमालय से दक्षिण में निश्चित करता है। वायुपुराण तथा मार्कण्डेयपुराण में भी इसी प्रकार भारतवर्ष का वर्णन मिलता है 3 'काव्यमीमांसा' में आचार्य राजशेखर ने भारतवर्ष के नौ भेद किए हैं - इन्द्रद्वीप, कसेरुमान्, ताम्रपर्ण, गभस्तिमान्, नागद्वीप, सौम्य, गन्धर्व, वरुणद्वीप और कुमारीद्वीप। भारतवर्ष के यह भेद विष्णुपुराण तथा वायुपुराण पर आधारित हैं। विष्णुपुराण में नवम स्थान पर कुमारीद्वीप का नाम न होकर सागर से घिरे हुए द्वीप का ही उल्लेख किया गया है।4
1. " 'उत्तरकुरु' आज का साइबेरिया प्रदेश प्रतीत होता है। अल्ताई पर्वत के समीप का मंगोलिया आदि का प्रदेश अपने
निवासियों के पीतवर्ण के कारण 'हिरण्यदेश' नाम से प्राचीन काल में कहा जाता था। ध्यानशांग पर्वत का समीपवर्ती सिवयांग तथा एशियाई रूस का प्रदेश 'रमणक' नाम से कहा गया है।"
(हिन्दी अभिनवभारती में संकलित भूमण्डल विभाजन) 2. दक्षिणेनापि त्रय एव निषधो हेमकूटो हिमवांश्च । हरिवर्ष, किम्पुरुषं, भारतमिति च त्रीणि वर्षाणि।
(काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय) 3. (क) उत्तरं यत्समुद्रस्य हिमाद्रेश्चैव दक्षिणम् वर्ष तद्भारतं नाम भारती यत्र सन्ततिः॥ विष्णु पुराण (2/3/1)
(ख) दक्षिणापरतो ह्यस्य पूर्वेण च महोदधि: हिमवानुत्तरेणास्य कार्मुकस्य यथा गुणः॥ मार्कण्डेय पुराण (47) 4. (क) तत्रेदं भारतं वर्षमस्य च नव भेदाः। इन्द्रद्वीपः, कसेरुमान, ताम्रपर्णो, गभस्तिमान, नागद्वीपः, सौम्यो, गन्धर्वो, वरुणः कुमारीद्वीपश्चायं नवमः।
(काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय) (ख) भारतस्यास्य वर्षस्य नव भेदान्निशामय इन्द्रद्वीपः, कशेरुश्च, ताम्रपर्णो गभस्तिमान् ॥ नागद्वीपस्तथा सौम्यो गन्धर्वस्त्वथ वारुणः अयम् तु नवमस्तेषां द्वीपः सागरसंवृत्तः।
विष्णुपुराण ( 2/3/67)