Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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है।
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(ग) शुक्तिमान् :- हिमालय पर्वतश्रेणी का एक भाग है, नेपाल की हिमालय स्थित शाखा
(घ) ऋक्षपर्वत :- विन्ध्य पर्वतमाला का एक भाग है और नर्मदा नदी का उद्गम स्थान है। इसका आधुनिक नाम सतपुड़ा है।
(ङ) महेन्द्र :- महानदी और गोदावरी के मध्य का पूर्वी घाट महेन्द्रमाला से व्याप्त है।
(च) सहा : दक्षिण भारत का यह प्रसिद्ध पर्वत पश्चिमी घाट पर स्थित है। इसके दक्षिण की और कावेरी और उत्तर की ओर गोदावरी बहती है ।
(छ) मलय :- यह कावेरी के दक्षिण तक फैला है। मैसूर से ट्रावनकोर तक फैली हुई पर्वतमाला का नाम मलय श्रेणी है ( कुमारीद्वीप के इन सात कुलपर्वतों की वर्तमान स्थिति का काव्यमीमांसा परिशिष्ट भाग 2 के आधार पर उल्लेख किया गया है) मलय पर्वत के चार भेद हैं।
इन मलय पर्वतों से दक्षिण पवन उत्तर की ओर बहता है।1
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आर्यावर्त :आचार्य राजशेखर ने कवियों के व्यवहार हेतु आर्यावर्त के चार वर्णों चार आश्रमों की व्यवस्था तथा इस व्यवस्था पर आधारित सदाचार को विशेष महत्व दिया है। यह आर्यावर्त पूर्व और पश्चिम समुद्र के तथा हिमालय और विन्ध्य के मध्य में स्थित है मनुस्मृति में भी आर्यावर्त की स्थिति पूर्वी समुद्र से पश्चिमी समुद्र तक दो पर्वतों के बीच में स्वीकार की गई है । इस प्रकार
1. तत्र विन्ध्यादयः प्रतीतस्वरूपा मलयविशेषास्तु चत्वारः । प्रवर्तते कोकिलनादहेतुः पुष्पप्रसूः पञ्चम जन्मदायी तेभ्यश्चतुभ्र्भ्योऽपि वसन्तमित्रमुदङ्मुखो दक्षिणमातरिश्वा ॥
(काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय)
2. पूर्वापरयोः समुद्रयोर्हिमवद्विन्ध्ययोश्चान्तरमार्यावर्त्तः तस्मिंश्चातुर्वर्ण्यं चातुराश्रम्यं च । तन्मूलश्च सदाचारः । तत्रत्यो व्यवहारः प्रायेण कवीनाम् । (काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय)
3. आ समुद्रात्तु वै पूर्वादासमुद्राच्च पश्चिमात् तयोरेवान्तरं गिर्योरायावर्तं विदुर्बुधाः । 22
(मनुस्मृति द्वितीय अध्याय)