Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University

View full book text
Previous | Next

Page 290
________________ [283] आर्यावर्त उत्तर भारत का वह विशाल भाग है जो उत्तर में हिमालय से दक्षिण में विन्ध्य तक फैला हुआ है। सम्पूर्ण भारत के पाँच विभाग : अपने सूक्ष्म भौगोलिक निरीक्षण को प्रस्तुत करते हुए आचार्य राजशेखर ने सम्पूर्ण भारत को पाँच भागों में विभक्त कर तत्कालीन नवीन कवियों को देश का सम्पूर्ण परिचय दिया। काव्यमीमांसा से ही तत्कालीन भारत के पाँच खण्ड और उनमें अन्तर्निहित जनपद, नदियों, पर्वत तथा वहाँ की उत्पाद्य वस्तुओं के विषय में पर्याप्त जानकारी मिलती है। आचार्य राजशेखर ने यह विभाजन इस प्रकार प्रस्तुत किया है - चार दिशाओं के चार भाग तथा एक मध्य भाग।1 कान्यकुब्ज को केन्द्रबिन्दु मानकर भारतवर्ष के उत्तरापथ, दक्षिणापथ, पूर्वदेश, पश्चाद्देश तथा मध्यदेश इस प्रकार पाँच भाग हैं। मनुस्मृति में हिमालय और विन्ध्य के मध्य का, विनशन से पूर्व का, प्रयाग से पश्चिम का भाग मध्यदेश है। पूर्वदेश आर्यावर्त में वाराणसी से पूर्व दिशा में पूर्व देश का उल्लेख है। पूर्वी भारत अर्थात् बनारस से आसाम और बर्मा तक भारत का बृहत् भू-भाग पूर्वदेश कहलाता था। पूर्वदेश के जनपद : अङ्ग, कलिङ्ग, कोसल, तोसल, उत्कल, मगध, मुद्गर, विदेह, नेपाल, पुण्ड्र, प्राग्ज्योतिष, ताम्रलिप्तक, मलद, मल्लवर्तक, सुह्य, ब्रह्मोत्तर आदि। वायुपुराण में तुर्वस के वंशधरों के वर्णन के प्रसङ्ग में अङ्ग आदि जनपदों का उल्लेख है । 1. तेषां मध्ये मध्यदेश इति कविव्यवहारः। न चाऽयं नानुगन्ता शास्त्रार्थस्य। (काव्यमीमांसा - सप्तदश अध्याय) 2. हिमवद्विन्ध्ययोर्मध्यं यत्प्राग्विनशनादपि। प्रत्यगेव प्रयागाच्च मध्यदेशः प्रकीर्तितः। 211 (मनुस्मृति - द्वितीय अध्याय) 3. अङ्गंस जनयामास वङ्गं सुह्यं तथैव च । पुण्ड्रं कलिङ्गश्च तथा बालेयं क्षत्रमुच्यते। 281 वायुपुराण - अध्याय 61, (अनुषङ्गपादसमाप्ति)

Loading...

Page Navigation
1 ... 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316 317 318 319 320 321 322 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339