Book Title: Acharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Author(s): Kiran Srivastav
Publisher: Ilahabad University
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वसन्त के प्रसङ्ग में कोकिल का स्वर :
उपहितं शिशिरापगर्माश्रया (बसन्तलक्ष्म्या) मुकुलजालमशोभत (किंशुके) (9-31)
इसी प्रसङ्ग में सहकार का भी वर्णन तथा कोकिल का स्वर :
अभिनयान्परिचेतुमिवोद्यता मलयमारुतकम्पितपल्लवा।
अमदयत्सहकारलता मनः सकलिका कलिकामजितामपि (9-33)
प्रथममन्यभृताभिरुदीरिता: प्रविरला इव मुग्धवधूकथाः सुरभिगन्धिषु शुश्रुविरे गिर : कुसुमितासु मितावनराजिषु (9-34)
नदी में कमल :
शय्यागतेन रामेण माता शातोदरी बभौ सैकताम्भोजबलिना जाह्नवीव शरत्कशा। (10-69)
समुद्र में ही मकर वर्णन :
मातङ्गनकैः सहसोत्पतद्भिन्नान्द्विधा पश्य समुद्रफेनान्--------- (13-11)
नदी में भी मकर वर्णन :
अथोमिलोलोन्मदराजहंसे रोधोलतापुष्पवहे शरय्वाः ।
विहर्तुमिच्छा वनितासखस्य तस्याभ्भसि ग्रीष्मसुखे बभूव ।। स तीरभूमौ विहितोपकार्यामानयिभिस्तामपकृष्टनक्राम्।
विगाहितुं श्री महिमानुरूपं प्रचक्रमे चक्रधरप्रभावः।। (16-54, 55)
ग्रीष्म में सरयू में मकरों के न होने का वर्णन है-इसका तात्पर्य है कि अन्य स्थितियों में नदी
में मकर माने गए हैं।