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________________ [186] वसन्त के प्रसङ्ग में कोकिल का स्वर : उपहितं शिशिरापगर्माश्रया (बसन्तलक्ष्म्या) मुकुलजालमशोभत (किंशुके) (9-31) इसी प्रसङ्ग में सहकार का भी वर्णन तथा कोकिल का स्वर : अभिनयान्परिचेतुमिवोद्यता मलयमारुतकम्पितपल्लवा। अमदयत्सहकारलता मनः सकलिका कलिकामजितामपि (9-33) प्रथममन्यभृताभिरुदीरिता: प्रविरला इव मुग्धवधूकथाः सुरभिगन्धिषु शुश्रुविरे गिर : कुसुमितासु मितावनराजिषु (9-34) नदी में कमल : शय्यागतेन रामेण माता शातोदरी बभौ सैकताम्भोजबलिना जाह्नवीव शरत्कशा। (10-69) समुद्र में ही मकर वर्णन : मातङ्गनकैः सहसोत्पतद्भिन्नान्द्विधा पश्य समुद्रफेनान्--------- (13-11) नदी में भी मकर वर्णन : अथोमिलोलोन्मदराजहंसे रोधोलतापुष्पवहे शरय्वाः । विहर्तुमिच्छा वनितासखस्य तस्याभ्भसि ग्रीष्मसुखे बभूव ।। स तीरभूमौ विहितोपकार्यामानयिभिस्तामपकृष्टनक्राम्। विगाहितुं श्री महिमानुरूपं प्रचक्रमे चक्रधरप्रभावः।। (16-54, 55) ग्रीष्म में सरयू में मकरों के न होने का वर्णन है-इसका तात्पर्य है कि अन्य स्थितियों में नदी में मकर माने गए हैं।
SR No.010645
Book TitleAcharya Rajshekhar krut Kavyamimansa ka Aalochanatmaka Adhyayan
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiran Srivastav
PublisherIlahabad University
Publication Year1998
Total Pages339
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari & Literature
File Size28 MB
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